बरेली: कुलियों की आर्थिक स्थिति खराब, 80 रुपये में क्या खाएं, क्या बचाएं

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बरेली,अमृत विचार। कोरोना काल जंक्शन के कुलियों पर कहर बनकर टूटा है। जीतोड़ मेहनत करने वाले कुलियों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। लाकडाउन में खाने के लाले पड़े थे। अब अनलाक टू में भी उनके हालात खराब हैं। ट्रेनों का संचालन ठीक से नहीं होने की वजह से कुलियों के सामने प्रतिदिन …

बरेली,अमृत विचार। कोरोना काल जंक्शन के कुलियों पर कहर बनकर टूटा है। जीतोड़ मेहनत करने वाले कुलियों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। लाकडाउन में खाने के लाले पड़े थे। अब अनलाक टू में भी उनके हालात खराब हैं। ट्रेनों का संचालन ठीक से नहीं होने की वजह से कुलियों के सामने प्रतिदिन सौ रुपये कमाना भी मुश्किल हो रहा है।

मंगलवार को आपबीती सुनाते हुए कई कुलियों ने बताया कि प्रतिदिन 50 से 80 रुपये तक ही कमा पा रहे हैं। ऐसे में क्या परिवार को खिलाएंगे और क्या बचाएंगे। दो वक्त की रोटी के लिए पूरे दिन भटकना पड़ रहा है।

अमृत विचार अखबार में मंगलवार के संस्करण में जब जंक्शन पर कार्य करने वाले एक व्यक्ति द्वारा खून बेचकर बच्ची को दूध खरीदने का मामला प्रकाशित हुआ तो अन्य कुलियों को इसकी जानकारी हुई। इसके बाद लाकडाउन से लेकर अनलाक 2 तक की स्थिति को लेकर उनका भी दर्द फूट पड़ा। दास्तां सुनाते हुए कई कुलियों की आंखें भर आईं। कहने लगे, काश, खून बेचना गुनाह न होता तो रूखे चावल खाने की नौबत न आती।

जंक्शन पर कुल 37 लोग कुली का काम करते हैं। जब ट्रेनों का संचालन बंद हुआ तो सभी को घर बैठना पड़ा। लाकडाउन के बाद कुछ ट्रेनों का संचालन हुआ तो काम मिला लेकिन उससे भी दो वक्त की रोटी का गुजारा नहीं हो सका। एक दिन में महज 50 से 80 रुपये ही कमा पा रहे हैं। जंक्शन के कुली आजाद का कहना है कि भले ही सरकार ने लाकडाउन खोल दिया लेकिन हमारा परिवार अभी भी दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहा है। सोमवार रात को भी महज 70 रुपये की ही आमदनी हो पाई थी।

वहीं, कुली ईद मोहम्मद और रोहित ने बताया कि सोमवार रात को सात कुलियों ने जंक्शन पर ड्यूटी की। उसमें केवल चार कुलियों की ही 50-50 रुपयों की आमदनी हुई थी। बाकी के तीन मजदूर पूरी रात जगने के बाद भी एक भी पैसा नहीं कमा सके थे। पूरे दिन-रात मेहनत के बाद भी 100 रुपये पैदा नहीं होते हैं, इसमें से क्या खुद खाएं और क्या परिवार को भेज दें।

“इस समय में ट्रेनों का संचालन ही नहीं हो पा रहा है, जो कुछ ट्रेनें चल रही हैं उन्हीं से इनकी कमाई हो रही है।” -संजीव दुबे, मुख्य वाणिज्य निरीक्षक

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