बरेली: मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बोले- खुदा से तौबा करें और गुनाहों से माफी मांग राजनीति छोड़ दे आजम खान
बरेली, अमृत विचार। दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने रामपुर में हो रहे उपचुनाव पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
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उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान को करीब 30 साल से जानता हूं। उनका ये पुराना तरीका है कि चाहे वो विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का वोटिंग से चंद दिनों पहले गली-गली और गांव-गांव जाकर आंसू बहाने लगते हैं और रो-रोकर व दुहाई देकर जनता से वोट मांगते हैं। जो लोग भी आजकल उनको देख रहे हैं वो लोग ताज्जुब और हैरान हैं। वो रोते हुए जेब से रूमाल निकालते हैं और चश्मा उतार कर रुमाल से दोनों आंखें पोछते हैं तो नए लोगों को यह देखकर हैरत होती है। जबकि पुराने लोग उनकी इन हरकतों से बखूबी वाकिफ हैं।
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बोले- आजम खाम खुदा से तौबा करें और गुनाहों से माफी मांगें और राजनीति छोड़ दें, इसीमें उनकी भलाई है pic.twitter.com/PkD11eg9mV
— Amrit Vichar (@AmritVichar) December 2, 2022
मौलाना ने आगे कहा कि आजम खान को अब ये तमाम बातें और तमाम हरकतें शोभा नहीं देती हैं। वो उत्तर प्रदेश में सपा के कद्दावर लीडर हैं। अब जनता की सोच और फिक्र में काफी बदलाव आ गया है, इसलिए अब आजम खान की बातों का और उनके रोने गाने का जनता पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
शहाबुद्दीन ने कहा कि आजम को मेरी सलाह है कि अब वो राजनीति छोड़ दें और खुदा को याद करने में लग जाएं, उनके साथ जो कुछ हो रहा है, यह सब उनके कर्मों का नतीजा है, इसलिए उनको चाहिए कि अपने घर के करीब मस्जिद में पांचों वक्त की नमाज पढ़ने के लिए जाएं और किसी दरगाह पर जाकर साहिब-ए-मजार के माध्यम से खुदा की वारगाह में तौबा करें और जिन लोगों को सताया या परेशान किया है, उन लोगों के घरों पर जाकर उनसे माफी मांगें, मैं उम्मीद रखता हूं कि खुदा उनको माफ कर देगा।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि मुस्लिम शासन के आखिरी दौर से लेकर ब्रिटिश पीरियड और सन 2000 तक मदरसा आलिया रामपुर की इल्मी शान व शौकत पूरी दुनिया में इस तरह थी, जिस तरह आज के दौर में जामिया अजहर मिस्र की है। मदरसा आलिया में पढ़ने के लिए रुस के शहर समरकंद व बूखारा के अलावा अफगानिस्तान, अरब, और यूरोप व अफ्रीका के देशों से छात्र पढ़ने के लिए आया करते थे। मदरसे की लाइब्रेरी भी बहुत शानदार थी, जिसमें नादिर व नायाब किताबें पढ़ने वालों के लिए कशीश का दर्जा रखतीं थीं, मगर अफसोस के साथ ये कहना पड़ रहा है कि आजम खान के संरक्षक में मदरसा आलिया और उसका कुतूबखाना बर्बाद हो गया और हम इसकी बर्बादी को अपनी आंखों से देखते रहे। आजम खान की दहशत और उनके खौफ व डर से उलमा और मुस्लिम लीडर खामोश तमाशाई बने रहे।
मौलाना ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को अब रामपुर आने की क्या जरूरत थी। 27 महीने तक जेल में बंद रहने वाले आजम खान को वो देखने के लिए भी न रामपुर आए और न ही सीतापुर जेल पहुंचे। जबकि उस वक्त आजम खान को अखिलेश यादव के साथ की सख्त जरुरत थी। अब अखिलेश यादव को अपने नजरिए पर मंथन करना चाहिए। जब वो मुस्लिम लीडर के साथ हमदर्दी के लिए नहीं खड़े हो सकते हैं तो उनको मुसलमानों से वोट मंगाने का भी हक हासिल नहीं है।
मौलाना ने रामपुर की जनता से अपील करते हुए कहा कि अपने मताधिकारों का इस्तेमाल अपने जमीर की आवाज पर करें, किसी से डरने और खौफजदा होने की जरूरत नहीं है।
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