बरेली: आला हजरत एक्सप्रेस में मिलेगा आरामदायक सफर का आनंद, LHB कोच के साथ चलेगी ट्रेन
बरेली जंक्शन को मिलेगी पहली एलएचबी कोचों वाली रेक नोट
बरेली, अमृत विचार। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बरेली जंक्शन को एलएचबी (लिंक हाफमैन बुश) रैक मिलने जा रही है। एलएचबी रैक को सबसे पहले आला हजरत एक्सप्रेस में लगाया जाएगा। 28 दिसंबर से आला हजरत एक्सप्रेस के एलएचबी रैक के साथ चलने की बात कही जा रही है। 20 दिसंबर बाद एलएचबी रैक की खेप बरेली जंक्शन को प्राप्त हो जाएगी। आला हजरत एक्सप्रेस में एलएचबी कोच लगने के बाद यात्रियों को पहले से अधिक आरामदायक यात्रा का अनुभव होगा।
ये भी पढ़ें- बरेली: पेंशन पाने को दर-दर भटक रहा दिव्यांग, विभागीय अधिकारी मूक दर्शक
शुरुआत में 20 एलएचबी कोचों के साथ ट्रेन चलाई जाएगी। मौजूदा समय में यह ट्रेन आईसीएफ कोचों के साथ चलाई जाती है। आला हजरत एक्सप्रेस बरेली से भुज के बीच चलती है। इस ट्रेन में बरेली से सबसे ज्यादा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के प्रमुख स्टेशनों पर जाने के लिए यात्री सफर करते हैं। बताया जा रहा है कि ट्रेन संख्या 14311 बरेली-भुज में बरेली से 29 दिसंबर से व 14312 भुज-बरेली में 30 दिसंबर से एलएचबी कोच लगाए जाएंगे।
ट्रेन संख्या 14321 बरेली भुज एक्सप्रेस में 28 दिसंबर से एलएचबी कोच लगेंगे। वहीं 14322 भुज बरेली एक्सप्रेस में 29 दिसंबर से एलएचबी कोच लगाए जाएंगे। शुरुआत में आला हजरत एक्सप्रेस के लिए ट्रेन की तीन रैक मिलने की बात कही जा रही है। हालांकि अभी एलएचबी कोचों की रैक बरेली जंक्शन नहीं पहुंची है। एलएचबी कोच आधुनिक जर्मन तकनीक पर आधारित होते हैं। आईसीएफ कोच में जहां स्लीपर की 72 बर्थ होती हैं, वहीं एलएचबी कोचों में 80 बर्थ होती हैं। यानी यात्रियों की ले जाने की क्षमता पहले से अधिक होगी।
हालांकि शुरुआत में 20 एलएचबी कोचों के साथ यह ट्रेन चलाई जाएगी। कैरिज एंड वैगन विभाग के अधिकारियों की माने तो मौजूदा समय में आला हजरत 23 आईसीएफ कोचों के साथ चलाई जा रही है। वहीं 28 दिसंबर से आला हजरत की एलएचबी रैक में 1 सेकेंड एसी, 5 थर्ड एसी, 10 स्लीपर कोच, 2 सामान्य कोच, 1 पावर कार व 1 गार्ड डिब्बा समेत कुल 20 कोच लगेंगे। संबंधित विभागों के स्टाफ को एलएचबी कोचों के मेंटिनेंस की ट्रेनिंग पूर्व में ही देहरादून में दी जा चुकी है।
इसलिए खास होते हैं एलएचबी कोच
एलएचबी कोच में ट्रेन की आवाज से अधिक परेशानी नहीं होती है। इस कोच में आवाज सिर्फ 60 डेसीबल का होता है। वहीं, आईसीएफ कोच का ध्वनि स्तर 100 डेसीबल रहता है। एलएचबी कोच में दो डिब्बा अलग तरह से कपलिंग की जाती है, जिससे दुर्घटना होने की स्थिति में डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते। अमूमन दुर्घटना में आईसीएफ कोच के डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं। इससे जान-माल का अधिक नुकसान होता है। पूरा कोच स्टेनलेस स्टील और एल्यूमीनियम का बना होता है। आग लगने की संभावनाएं भी एलएचबी में कम होती हैं।
ये भी पढ़ें- बरेली: योजना में अपात्रों का न हो चयन, कराएं स्थलीय जांच- डीएम