बहराइच : सुरक्षित प्रसव से महिलाओं की गोद में गूंजेगी किलकारी

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Published By Vinay Shukla
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जटिलताओं की त्वरित पहचान के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे 60 स्वास्थ्य कर्मी 

अमृत विचार बहराइच। समय रहते संभावित जटिलताओं की पहचान कर सुरक्षित प्रसव कराने के उद्देश्य से एएनएम, स्टॉफ नर्स, एलएचवी व सीएचओ को 21 दिवसीय एसबीए यानी स्किल्ड बर्थ अटेंडेंट प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी प्रसूता व जन्मे शिशुओं के संभावित खतरों की पहचान कर न सिर्फ त्वरित इलाज मुहैया कराएंगे बल्कि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें उच्च देखभाल वाली स्वास्थ्य इकाइयों पर संदर्भित भी करेंगे।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश कुमार सिंह ने बताया कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर करने के उद्देश्य से जनपद के तीन प्रथम सन्दर्भन इकाइयों कैसरगंज , नानपारा व पयागपुर में  21 दिवसीय एसबीए प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों को दिया जा रहा है। इसके लिए हर ब्लॉक से प्रसव कक्ष में कार्यरत एएनएम, स्टॉफ नर्स, एलएचवी व सीएचओ सहित 60 स्वास्थ्य कर्मियों को कुल 5 बैचों में प्रशिक्षित किया जा रहा है। रविवार को प्रथम बैच के कुल 12 स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पयागपुर में चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रशिक्षक डॉ कविता चौधरी व डॉ रहमतुल निशा ने बताया कि 21 दिवसीय प्रशिक्षण में पांच दिन थ्यौरी क्लास तथा शेष 16 दिन जनपद स्तरीय प्रसव केंद्र में प्रैक्टिकल के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों को दक्ष किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रसव के समय व प्रसव के बाद होने वाली जटिलताएं कभी-कभी गंभीर हो जाती है।  जच्चा-बच्चा को इन समस्याओं से बचाने व होने वाली जटिलताओं  को न्यूनतम करने का प्रयास इस प्रशिक्षण के माध्यम से किया जा रहा है। पयागपुर सीएचसी अधीक्षक डॉ विकास वर्मा ने बताया कि प्रसव से पहले, प्रसव समय व प्रसव पश्चात प्रसूता की स्थिति का परीक्षण करते हुए संभावित खतरे का आंकलन कर उसी के अनुसार  प्रबंधन करना प्रसव कराने वाले स्टॉफ के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात होती है।

प्रशिक्षक व वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ कविता चौधरी,  डॉ रहमतुल निशा व  स्टाफ नर्स प्रतिभा देवी ने बताया कि प्रसव के 42 सप्ताह तक जटिलताओं के होने की संभावना रहती है। इसके लिए प्रसूता का उचित परामर्श  बहुत महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूपी तकनीकी सहयोग ईकाई से डॉ शालिनी झा व प्रतिमा मिश्रा ने प्रसव संबंधित व नवजात में होने वाली जटिलताओं के प्रबंधन की विशेष जानकारी दी।

रविवार को  21 दिवसीय प्रशिक्षण पूर्ण होने पर  एएनएम पुष्पा मिश्रा हुजूरपुर,सीमा वर्मा विशेश्वरगंज, साक्षी चौधरी हुजूरपुर व प्रतिभागी मैनावती चित्तौरा को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस दौरान बीपीएम अनुपम शुक्ल,रमेशचंद्र स्वास्थ्य पर्यवेक्षक सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।


इन बातों का रखना होगा ख्याल
  • उच्च जोखिम वाली गर्भवती की पहचान करना।
  • उच्च जोखिम वाली गर्भवती का सुरक्षित प्रसव कराना
  • गंभीर होने की दशा में समय रहते उच्च स्वास्थ्य केंद्र के लिए रेफर करना।
  • रक्त के बहाव व झटके की समस्या होने पर तत्काल रेफर करना।
  • कमजोर व कम वजन के बच्चों की पहचान करना।
  • कमजोर व देर से सांस लेने वाले बच्चे को एसएनसीयू रेफर करना।महिला व बच्चे के लिए संभावित खतरे की काउंसिलिंग करना।

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