निकट भविष्य में अमूल दूध की कीमतें बढ़ाने की कोई योजना नहीं: आर एस सोढ़ी
नई दिल्ली। अमूल ब्रांड के तहत दूध का विपणन करने वाली सहकारी संस्थान गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) की निकट भविष्य में देश में दूध की कीमतें बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। संस्था के प्रबंध निदेशक (एमडी) आर एस सोढ़ी ने यह कहा। जीसीएमएमएफ, मुख्य रूप से गुजरात, दिल्ली-एनसीआर, पश्चिम बंगाल और मुंबई के बाजारों में दूध बेचता है। यह सहकारी संस्थान प्रतिदिन 150 लाख लीटर से अधिक दूध बेचता है, जिसमें से दिल्ली-एनसीआर में लगभग 40 लाख लीटर दूध की बिक्री होती है।
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इस हफ्ते की शुरुआत में, मदर डेयरी ने लागत बढ़ने का हवाला देते हुए दिल्ली-एनसीआर के बाजार में फुल-क्रीम दूध की कीमतों में एक रुपये प्रति लीटर और टोकन दूध में दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। यह पूछे जाने पर कि मदर डेयरी द्वारा दूध कीमतों में वृद्धि किये जाने के बाद क्या जीसीएमएमएफ की दूध की कीमतों में वृद्धि की कोई योजना है, सोढ़ी ने कहा, निकट भविष्य में कोई योजना नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अक्टूबर में पिछली बार खुदरा मूल्य वृद्धि के बाद से लागत में ज्यादा वृद्धि नहीं हुई है।
अक्टूबर के मध्य में जीसीएमएमएफ ने अमूल गोल्ड (फुल-क्रीम) और भैंस के दूध की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की। यह वृद्धि, चुनावी गुजरात को छोड़कर, बाकी सभी बाजारों में हुई है। गुजरात में दिसंबर की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होंगे। दाम में इस बढ़ोतरी के बाद अमूल गोल्ड की कीमत 61 रुपये से बढ़ाकर 63 रुपये प्रति लीटर जबकि भैंस के दूध की कीमत 63 रुपये से बढ़ाकर 65 रुपये प्रति लीटर हो गई। जीसीएमएमएफ ने इस साल तीन बार दूध की कीमतों में बढ़ोतरी की है, जबकि मदर डेयरी ने चार बार ऐसा किया है।
मदर डेयरी दिल्ली-एनसीआर में प्रति दिन 30 लाख लीटर से अधिक बिक्री की मात्रा के साथ अग्रणी दूध आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। दूध की कीमतों में बढ़ोतरी ने घरेलू बजट पर ऐसे समय में दवाब डाला है जब खाद्य मुद्रास्फीति पहले से ही उच्च स्तर पर है। मदर डेयरी ने कीमतों में बढ़ोतरी के लिए डेयरी किसानों से कच्चे दूध की खरीद लागत में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया है।
इसके प्रवक्ता ने कहा, इस साल पूरे डेयरी उद्योग में दूध की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर देखा जा रहा है। कंपनी ने कहा कि मवेशी चारे की बढ़ती लागत के कारण कच्चे दूध की उपलब्धता प्रभावित हुई है तथा अनिश्चित मानसून के कारण कच्चे दूध की कीमतों पर दबाव है। दुनिया में दूध के सबसे बड़े उत्पादक देश, भारत में दूध उत्पादन सालाना लगभग 21 करोड़ टन का होता है।
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