मेरठ को UP कैबिनेट बैठक में मिली मायूसी, नहीं मिला पुलिस कमिश्नरेट का दर्जा
बता दें, उत्तर प्रदेश के 7 महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है। वहीं, इस बार भी मेरठ को जगह नहीं मिल सकी। जबकि, कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार मेरठ पुलिस कमिश्नरेट बन जाएगा।
मेरठ, अमृत विचार। यूपी की योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के विस्तार को मंजूरी मिली है। जिसके तहत यूपी के प्रयागराज, आगरा और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने को कैबिनेट की मुहर लगी है। तीनों जगहों पर पुलिस कमिश्नरों की तैनाती की जाएगी। 13 जनवरी 2020 को यूपी में सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी। कैबिनेट बैठक में कुल डेढ़ दर्जन प्रस्ताव पास हुए हैं। बता दें, उत्तर प्रदेश के 7 महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है। वहीं, इस बार भी मेरठ को जगह नहीं मिल सकी। जबकि, कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार मेरठ पुलिस कमिश्नरेट बन जाएगा।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि आज की कैबिनेट की बैठक में प्रयागराज, आगरा और गाज़ियाबाद को पुलिस आयुक्तालय प्रणाली का हिस्सा बनाया गया है और पूरे जनपद को आयुक्तालय में लिया गया है। इससे अपराधों पर नियंत्रण करने और लोगों को चाक चौबंद सुरक्षा देने में मदद मिलेगी।
विधानसभा चुनाव के बाद लगाए जा रहे थे कयास
मार्च 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव का परिणाम आते ही योगी आदित्यनाथ सरकार दोबारा उत्तर प्रदेश में सत्ता पर काबिज हुई। इस दौरान गजियाबाद के एसएसपी का स्थानांतरण कर दिया गया और सीट कुछ दिन खाली रखी गई। उस दौरान मेरठ और गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नरेट बनने की चर्चा तेजी से चली। मेरठ में अपराध चरम सीमा पर है। सोतीगंज के बाद अब लिसाड़ी गेट अपराध के मामले में बदनाम है। अपराध पर लगाम लगे, इसलिए मेरठ को कमिश्नरेट बनाए जाने की लोगों की भी मांग है। लेकिन, शुक्रवार को यूपी कैबिनेट की बैठक में मेरठ को निराशा हाथ लगी।
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