कोटा को कैटल-फ्री करने की कोशिशें लाने लगी रंग, अब सड़कों पर आवारा पशु नहीं विचरते
कोटा। राजस्थान के कोटा को कैटल फ्री करने की कोशिशें अब रंग लाने लगी हैं और सड़कों पर विचरण करने वाले आवारा मवेशियों को धरपकड़ कर उन्हें गोशाला में रखने आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
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ऐसे पशुओं को गोशाला में रखने के मामले में जगह की उपलब्धता को लेकर हुए विवाद में कोटा नगर निगम (दक्षिण) की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू की कोशिशे रंग लाई और जिला कलक्टर ओपी बुनकर ने बंधा-धर्मपुरा स्थित नगर निगम की गोशाला का आकस्मिक निरीक्षण किया और निगम के अधिकारियों को वहां मवेशियों को रखने के संबंध में निर्देश दिए।
राजस्थान के तीसरे सबसे बड़े शहर कोटा की सड़कों को कैटल-फ्री करने की नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की कोशिशों को अमल में लाने के लिए बुनकर ने पिछले सप्ताह कोटा नगर विकास न्यास के अधिकारियों की एक आवश्यक बैठक बुलाकर नगर निगम के साथ मिल कर शहर की सड़कों पर लावारिस छोड़े गए मवेशियों की धरपकड़ कर उन्हें गोशाला में रखने और सड़कों को मवेशी रहित उनकी कर उनकी वजह से होने वाली दुर्घटनाओं पर रोकने के सख्त निर्देश दिए थे
लेकिन पकड़े जाने के बाद इन मवेशियों को कहां रखा जाएगा, इस मसले को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था क्योंकि कोटा में केवल बंधा-धर्मपुरा में कोटा नगर निगम (दक्षिण) एक गोशाला है जबकि किशोरपुरा में एक कायन हाऊस है और दोनों में ही पहले से ही उनकी क्षमताओं के अनुरूप मवेशी रखे होने के कारण वहां अतिरिक्त जगह नहीं है।
उल्लेखनीय है कि श्री धारीवाल की पहल पर कोटा शहर को कैटल-फ्री करने के लिए शहर के बाहरी इलाके में देवनारायण आवासीय पशुपालन योजना को मूर्त रूप दिया गया है जिस पर करीब 300 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं ताकि पशुपालक वहीं रहकर अपने मवेशी पाल सके जिससे कोटा शहर को कैटल-फ्री किया जा सके लेकिन इस आवासीय योजना के अस्तित्व में आ जाने के बावजूद अभी भी कोटा शहर केटल फ्री होने का नाम नहीं ले रहा है।
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