एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 2023 में मंदी की आशंका नहीं: मूडीज
नई दिल्ली। आने वाले वर्ष के दौरान एशिया-प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र में मंदी की आशंका नहीं है। हालांकि, क्षेत्र पर ऊंची ब्याज दरों और वैश्विक व्यापार वृद्धि धीमी रहने का असर जरूर पड़ेगा। मूडीज एनालिटिक्स ने बृहस्पतिवार को यह कहा। ‘एपीएसी परिदृश्य: भविष्य में नीचे की ओर’ शीर्षक वाले अपने विश्लेषण में मूडीज ने कहा है कि अगले वर्ष भारत धीमी वृद्धि की दिशा में बढ़ रहा है जो इसकी दीर्घकालिक संभावना के अनुरूप है।
सकारात्मक पक्ष को देखें तो निवेश का प्रवाह और प्रौद्योगिकी तथा कृषि में उत्पादन लाभ से वृद्धि को गति मिलेगी। इसमें कहा गया कि अगर मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर बनी रहती है तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को छह प्रतिशत के ऊपर रखना होगा जिससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि मंद पड़ जाएगी।
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मूडीज ने अगस्त में अनुमान जताया था कि 2022 में भारत की वृद्धि धीमी पड़कर प्रतिशत रहेगी, 2023 में यह और धीमी होकर पांच प्रतिशत पर आ जाएगी। 2021 में यह 8.5 प्रतिशत रही थी। अपने विश्लेषण में मूडीज ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ रही है और व्यापार पर निर्भर यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार में सुस्ती के असर को झेल रहा है। मूडीज एनालिटिक्स में प्रमुख अर्थशास्त्री (एपीएसी) स्टीव कोचरेन ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में केवल चीन ही कमजोर कड़ी नहीं है बल्कि समेत एशिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का निर्यात मूल्य अक्टूबर में सालाना आधार पर गिरा है। हालांकि, भारत की निर्यात पर निर्भरता कुछ कम है।
क्षेत्रीय परिदृश्य के बारे में मूडीज ने कहा कि भारत समेत एपीएसी क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं भले ही महामारी संबंधी पाबंदियों को हटाने में देरी करने के बाद विस्तार कर रही है, यूरोप तथा उत्तर अमेरिका में मंदी की आशंका के कारण 2022 की तुलना में 2023 आर्थिक वृद्धि के लिहाज से सुस्त रहने वाला है। उन्होंने कहा, आगामी वर्ष में एपीएसी क्षेत्र में मंदी की कोई आशंका नहीं है हालांकि इस क्षेत्र को ऊंची ब्याज दरों और वैश्विक व्यापार वृद्धि में नरमी से प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा।
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