‘मैं पलाश गुलमोहर जैसी’ का हुआ विमोचन, कवियों ने पढ़े ऊष्मा के कसीदे
अमृत विचार, अयोध्या। जनवादी लेखक संघ के तत्वावधान में रविवार को संगठन की वरिष्ठ सदस्य ऊष्मा वर्मा ‘सजल’ द्वारा लिखी व रुद्रादित्य प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक ‘मैं पलाश गुलमोहर जैसी’ का विमोचन वरिष्ठ साहित्यकारों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भारतभूषण अग्रवाल व देश के वरिष्ठ कवि स्वप्निल श्रीवास्तव ने कहा कि ऊष्मा की कविताएं जीवन के सहज दु:ख-सुख के साथ समाज की पीड़ा का वृत्तांत रचने वाली रचनाएं हैं।
प्रयागराज से आए मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व उद्घोषक संजय पुरुषार्थी ने कहा कि जहां एक ओर कवि दुष्यन्त कुमार की पीर पर्वत की ऊंचाई को अपना प्रतीक बनाती है वहीं ऊष्मा सजल अपने दुखों से निजात पाने के बजाय दुख के संचयन के लिए संग्रहालय को प्रतीक के रूप में परिकल्पित करती हुई दिखती हैं। संयोजन-संचालन कर रहे डॉ. विशाल श्रीवास्तव ने कहा कि संग्रह का नाम ही कृतित्व की सार्थकता को स्पष्ट करता है। कवयित्री ने खुद को पलाश और गुलमोहर के रूप में देखा है, जो भयंकर ग्रीष्म में खिलने वाले फूल हैं।
वरिष्ठ लेखिका पूनम सूद ने कहा कि वह बिल्कुल नये तेवर के साथ अपनी रचनाएं लिख रही हैं। संगठन के सदस्य सत्यभान सिंह जनवादी ने आमंत्रित साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, कलाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व गणमान्यों का स्वागत किया। वरिष्ठ पत्रकार केपी सिंह, डॉ. रघुवंशमणि, आरडी आनंद, कवयित्री कंचन जायसवाल, विनीता कुशवाहा, कंचन दुबे, युवा साहित्यकार नीरज सिन्हा नीर, कबीर, रामानंद सागर, डॉ. प्रदीप सिंह, डॉ. मोतीलाल तिवारी,डॉ. बिंदमणि, डॉ. अतुल मिश्र, शहीद शोध संस्थान के प्रबंधक सूर्यकांत पांडेय सहित सैकड़ों महिलाएं और पुरुष मौजूद रहे।
