बरेली: उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस में शोध पत्र का दिया प्रस्तुतीकरण

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बरेली, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस के 31वें सत्र का आयाेजन एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. रेनू शुक्ला कन्या गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार ने की। मुख्य अतिथि आईजी रमित शर्मा व कुलपति प्रो. केपी सिंह रहे। यह भी पढ़ें- बरेली: HIV ग्रसित मरीज का सिजेरियन न करने की शिकायत, …

बरेली, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस के 31वें सत्र का आयाेजन एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. रेनू शुक्ला कन्या गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार ने की। मुख्य अतिथि आईजी रमित शर्मा व कुलपति प्रो. केपी सिंह रहे।

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उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस के महासचिव प्रो. विजय बहादुर यादव ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में प्रो. एसबी लाल, प्रो. एसएनआर रिजवी, आईजी, कुलपति और प्रो. एके सिन्हा ने संबोधित किया। प्रो. विजय बहादुर ने बताया कि उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस की स्थापना 1985 में की गई। पिछले दो-तीन वर्षों से कोविड के कारण इसका आयोजन नहीं हो सका था।

प्रो. डा. रेनू शर्मा ने बौद्ध शर्म का चिकित्सा विज्ञान में योगदान के बारे में अपने शोध पत्र में बताया। आईजी रमित शर्मा ने कहा कि बरेली परिक्षेत्र में ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत कुछ है। उन्होंने फतेहगंज पूर्वी व पश्चिमी के इतिहास के बारे में भी बताया। उन्होंने पुलिस के इतिहास के बारे में भी बताया। कुलपति ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से विश्वविद्यालय की रैंकिंग सुधरती है।

विश्वविद्यालय की ओर से संग्रहालय बनाया गया है। डा. मनीषा चौधरी ने अपने शोध पत्र में रिप्रेजेंटेटिव द एनिमल किंग, किंगडम वार एंड शिकार में जानवरों की राज्यों के बनने और बिगड़ने में क्या उपयोगिता रही इसके बारे में बताया।

अनिरुद्ध देश पांडेय ने कालानुक्रमिक और इतिहास का लेखन शोध पत्र में माइक्रो हिस्ट्री के विषय में बताया और इतिहास लेखन में शब्दों के प्रयोग के महत्व को समझाया।

कार्यक्रम में सौरभ अग्रवाल, प्रो. श्याम बिहारी लाल, प्रो. एके सिन्हा, प्रो. एसएन आर रिजवी, डा. रेनू शुक्ला, डा. पवन कुमार व डा. दिया, प्रो. ओपी श्रीवास्तव, प्रो. हर्ष कुमार, प्रो. राजकुमार गुप्ता, कुलसचिव डा. राजीव कुमार, परीक्षा नियंत्रक डा. संजीव कुमार, डा. आशुतोष प्रिय, डा. रुचि द्विवेदी, डा. कामिनी विश्वकर्मा, डा. पवन कुमार सिंह मौजूद रहे।

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