मुलायम की सीट से सपा की तरफ से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं तेज प्रताप यादव
लखनऊ। मैनपुरी सीट पर मुलायम सिंह के राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भतीजे और लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव चुनावी मैदान में उतर सकते हैं? क्योंकि सपा का गढ़ मानी जाने वाली मैनपुरी पर अब तक यादव परिवार का ही दबदबा रहा है। तेज प्रताप ने राजनीति …
लखनऊ। मैनपुरी सीट पर मुलायम सिंह के राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भतीजे और लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव चुनावी मैदान में उतर सकते हैं? क्योंकि सपा का गढ़ मानी जाने वाली मैनपुरी पर अब तक यादव परिवार का ही दबदबा रहा है। तेज प्रताप ने राजनीति में पहला कदम मैनपुरी सीट से बतौर सांसद रखा था। हलांकि सपा ने अधिकारिक रूप से सवाल टाल दिया है,कहा कि अखिलेश यादव का मंथन प्रत्याशी चयन को लेकर किया जा रहा है, नाम फाइनल होने पर सार्वजनिक किया जायेगा।
हालांकि, मैनपुरी सीट के लिए तेज प्रताप के अलावा धर्मेद्र यादव और डिंपल यादव के नामों को लेकर भी पार्टी में चर्चा है, लेकिन पार्टी को तरफ से अभी तक औपचारिक रूप से कोई नाम फाइनल नहीं है। मैनपुरी सीट को यादव परिवार का गढ़ मानी जाती है। वर्ष 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर थी तब भी इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था। मुलायम सिंह यादव को ही जीत हासिल हुई। मुलायम दो संसदीय सीटों आजमगढ़ और मैनपुरी सीटों पर एक साथ जीत दर्ज की थी। लिहाजा मैनपुरी सीट उन्होंने छोड़ दी थी और फिर इस सीट पर तेज प्रताप यादव उपचुनाव जीते थे। पहली बार तेज प्रताप ने राजनीति में कदम रखे थे।
मैनपुरी के साथ बिहार में भी मिलेगा समर्थन
मालूम हो कि तेज प्रताप , मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह यादव के पौत्र हैं। तेज प्रताप के पिता रणवीर सिंह यादव राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय थे, लेकिन 36 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। उनकी पत्नी मृदुला यादव मौजूदा समय में सैफई की ब्लाक प्रमुख हैं। चचेरे भाई का पुत्र होने लिहाज से तेज प्रताप सिंह यादव अखिलेश यादव के भतीजे हैं। तेज प्रताप की पत्नी राजलक्ष्मी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं। इस तरह से लालू प्रसाद के दामाद हैं। ।
सपा का गढ़ बचाना है
मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही मैनपुरी सीट को सपा को बचाए रखने की चुनौती है। क्योंकि मैनपुरी सीट ने न केवल मुलायम सिंह के राजनैतिक कद को बढ़ाया बल्कि सैफई परिवार की तीन पीढ़ियां इसी मैनपुरी के रास्ते संसद तक पहुंची हैं। मुलायम सिंह यादव के निधन से सिर्फ मैनपुरी सीट खाली ही नहीं हुई बल्कि लोकसभा में ‘यादव परिवार’ का प्रतिनिधित्व भी खत्म हो गया है।
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