रुद्रपुर: उत्तराखंड पंजाबी महासभा की जिला एवं नगर कार्यकारिणी ने दिया इस्तीफा

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रुद्रपुर, अमृत विचार। उत्तराखंड पंजाबी महासभा के दोनों गुटों की जिला एवं नगर कार्यकारिणी ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि दोनों गुटों को एक मंच पर आकर समाज के उत्थान के लिए काम करना चाहिए। इसी उद्देश्य के साथ इस मुहिम की शुरुआत ऊधमसिंह नगर जिले से की गई है, …

रुद्रपुर, अमृत विचार। उत्तराखंड पंजाबी महासभा के दोनों गुटों की जिला एवं नगर कार्यकारिणी ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि दोनों गुटों को एक मंच पर आकर समाज के उत्थान के लिए काम करना चाहिए। इसी उद्देश्य के साथ इस मुहिम की शुरुआत ऊधमसिंह नगर जिले से की गई है, क्योकि पंजाबी महासभा का गठन भी रुद्रपुर से हुआ था।

शनिवार को शहर के एक होटल में हुई पत्रकार वार्ता में उत्तराखंड पंजाबी महासभा बेहड़ गुट के जिलाध्यक्ष केवल कृष्ण बत्रा एवं घई गुट के जिला अध्यक्ष हरीश जलहोत्रा ने बताया कि वर्ष 1994 में पंजाबी महासभा का गठन हुआ था। जो कि उत्तराखंड बनने के बाद उत्तराखंड पंजाबी महासभा बन गया था। जिसका मकसद तराई के पंजाबी समाज को संगठित और एकजुट कर उनकी समस्या का निदान करना था। मगर राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण आपसी मतभेदों के चलते पिछले कुछ सालों से उत्तराखंड पंजाबी महासभा में दो फाड़ होने के कारण समाज बंटने लगा था।

वहीं समाज में पंजाबी महासभा को लेकर गलत अवधारणा बनने लगी थी। ऐसे में ऊधमसिंह नगर से दोनों गुटों के जिलाध्यक्षों ने वार्ता की और जब मुहिम शुरू की तो जिले के अलावा नगर कार्यकारिणी का भी समर्थन मिलने लगा है। उन्होंने बताया कि दोनों गुटों के जिलाध्यक्ष, महामंत्री के अलावा रुद्रपुर की कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने अपना इस्तीफा महासभा के प्रदेश अध्यक्षों को भेज दिया है। साथ ही विश्वास जताया है कि दोनों ही प्रदेश नेतृत्व महासभा को एक मंच पर लाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने बताया कि रविवार को शहर में निकलने वाले गुरुपूरब की शोभायात्रा के स्वागत के लिए भी पंजाबी महासभा एक मंच बनाएगा। जिसकी जिम्मेदारी सुरेंद्र रज्जी एवं सुरेंद्र मिढ्ढा को दी गई है। इस मौके पर सुरेंद्र मिढ्ढा, वीरेंद्र सुखीजा, दीपक अरोड़ा, मनोज खेड़ा, जिला महामंत्री प्रीत ग्रोवर आदि मौजूद रहे।

लोकतांत्रिक देश में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। ऐसे में पंजाबी महासभा के पदाधिकारियों द्वारा दिए गए इस्तीफे उनका व्यक्तिगत निर्णय है। इसमें प्रदेश नेतृत्व विचार करेगा और अपना निर्णय देगा। बावजूद इसके समाज के हित के लिए मंथन किया जाएगा। – तिलकराज बेहड़, प्रदेशाध्यक्ष पंजाबी महासभा

पंजाबी महासभा की जिला एवं नगर कार्यकारिणी के दो साल पूरे हो चुके हैं। ऐसे में आदेशित किया था कि जो पदाधिकारी संगठन में रहना चाहता है या नहीं। वह जल्द अपना निर्णय ले सकते हैं। उसी क्रम में इस्तीफे देना व्यक्तिगत फैसला है। बावजूद इसके दोनों पंजाबी महासभा में कोई मतभेद नहीं है। – राजीव घई, प्रदेश अध्यक्ष पंजाबी महासभा

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