अदालत का फैसला : मां, बहन और पत्नी के हत्यारे और उसके साथी को मृत्युदंड की सजा

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अमृत विचार, फर्रुखाबाद। शहर कोतवाली के मोहल्ला छावनी निवासी मोहम्मद कलीम और उसके साथी को विशेष अदालत ईसी एक्ट न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है। कलीम पर 15 साल पहले मां, बहन और पत्नी की सोते वक्त हत्या करने का आरोप था। साथ ही 1.30 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है। …

अमृत विचार, फर्रुखाबाद। शहर कोतवाली के मोहल्ला छावनी निवासी मोहम्मद कलीम और उसके साथी को विशेष अदालत ईसी एक्ट न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है। कलीम पर 15 साल पहले मां, बहन और पत्नी की सोते वक्त हत्या करने का आरोप था। साथ ही 1.30 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है। सजा की पुष्ठि के लिए पत्रावली उच्च न्यायालय भेजी जाएगी। वहां से पुष्ठि होने पर दोनों को फांसी दी जाएगी। इस मुकदमे में एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त किया गया था और दो आरोपियों की पत्रावली अलग की गई है।

शहर कोतवाली के मोहल्ला छावनी निवासी मोहम्मद कलीम की पत्नी यासमीन, मां नूरजहा और बहन नसरीन की 25 जुलाई 2007 की रात गोली व धारदार हथियार से हत्या कर दी गई थी। इस घटना में मोहम्मद कलीम भी घायल हो गया था। मोहल्ला घोड़ा नखास निवासी चचेरे भाई शकील अहमद पुत्र शब्बीर अहमद ने अज्ञात लोगों के विरुद्ध शहर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचना में कलीम द्वारा दोस्तों के साथ मिलकर पत्नी, बहन व मां की हत्या करने का मामला सामने आया था।

हत्या के बाद कलीम ने खुद को घायल कर लिया था। पुलिस ने कलीम, खटकपुरा निवासी दोस्त शकील पुत्र कादिर, मोहल्ला चोवदराज निवासी लल्लन उर्फ लल्ला, प्रदीप व मुकेश के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। कलीम व शकील की निशानदेही पर कलीम के घर से तमंचा और बांका पुलिस ने बरामद किया था।

आरोपी प्रदीप व मुकेश की पत्रावली अलग कर दी गई थी। कलीम, शकील व लल्लन के मुकदमे की ईसीएक्ट न्यायालय में सुनवाई हुई। बचाव पक्ष के वकील व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता तेज सिंह राजपूत, हरनाथ सिंह, राजीव भगोलीवाल, अखिलेश कुमार राजपूत ने दलीलें पेश कीं। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने 13 अक्तूबर को लल्लन उर्फ लल्ला को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया था। कलीम व शकील को हत्या में दोषी करार दिया था। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता तेज सिंह राजपूत ने दोनों दोषसिद्ध को फांसी की सजा दिए जाने के लिए पैरवी की।

दो तारीखों पर सुनवाई के बाद गुरुवार को न्यायाधीश ने दोषसिद्ध कलीम व शकील को मृत्यु दंड की सजा सुनाई । निर्णय में कहा कि दोनों को गर्दन से तब तक लटकाया जाए, जब तक उनकी मृत्यु न हो जाए। मृत्युदंड की सजा तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक उच्च न्यायालय से सजा की पुष्ठि नहीं हो जाती है। इसके लिए पत्रावली उच्च न्यायालय भेजी जाएगी। वहां से सजा की पुष्ठि होने के बाद मृत्युदंड दिया जाएगा। कलीम व शकील 30 दिन में निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं।

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