इटावा: मुलायम सिंह के नाम से बढ़ी इटावा की शान

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अमृत विचार, इटावा। आजादी के बाद इटावा जिले की गणना अति पिछड़े क्षेत्र में होती थी। चंबल, यमुना के दोआब में बसे इसे क्षेत्र में बड़े भूभाग में बीहड़ और दुर्गम रास्ते ही देखे जाते थे। विकास के नाम पर यहां नाम मात्र को सड़कें और बिजली के दर्शन होते थे। चंबल यमुना के बीहड़ों …

अमृत विचार, इटावा। आजादी के बाद इटावा जिले की गणना अति पिछड़े क्षेत्र में होती थी। चंबल, यमुना के दोआब में बसे इसे क्षेत्र में बड़े भूभाग में बीहड़ और दुर्गम रास्ते ही देखे जाते थे। विकास के नाम पर यहां नाम मात्र को सड़कें और बिजली के दर्शन होते थे। चंबल यमुना के बीहड़ों बागियों अर्थात कुख्यात डकैत गिरोहों की शरण स्थली के रूप में जाने जाते थे। कुख्यात डकैत लालाराम, रामआसरे उर्फ फक्कड़, मलखान सिंह, तहसीलदार सिंह, मान सिंह और बाद में इसी परंपरा के निर्भय गुर्जर, रज्जन गुर्जर, सलीम गुर्जर, चंदन यादव, पपोला और न जाने कौन कौन डकैत इन्हीं वादियों में पले पढ़े।

अपराध का जाल ऐसा था कि शिकार खुद बीहड़ों में पहुंच जाता था। इन्हीं डकैतों के किस्से कहानियां इटावा की वादियों में गूंजा करती थी। परंतु मुलायम सिंह यादव जब प्रदेश की राजनीति में सिरमौर बनकर उभरे तो उन्होंने इटावा को एक नई पहचान दी। डकैतों गिरोहों का समूल नाश कराने के बाद उन्होंने इटावा के विकास की ऐसी इबारत गढ़ी कि आने वाली पीढ़ियां भी उसे भुला नहीं सकेंगी। इटावा में उनके ड्रीम प्रोजेक्ट लायन सफारी की शुरूआत हुई। सफारी के कारण आज इटावा विश्व के मानचित्र पर अंकित है। आज देश में लायन सफारी और सैफई का मेडिकल कालेज इटावा की पहचान बने रहे हैं।

इटावा के विकास की शुरुआत वर्ष 1989 में पहली बार मुख्यमंत्री बने मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल से ही हुई। गांव गांव सड़कों का जाल फैला। गांवों को नदियों से आपस में जोड़ृते हुए कम से कम एक सैकड़ा से अधिक छोटे बड़े पुलों का निर्माण हुआ। आवागमन सुगम हुआ और गांव में बिजली की रोशनी पहुंचने लगी।इसके साथ ही इटावा में डा भीमराव आंबेडकर संयुक्त जिल‌ा चिकित्सालय की नींव रखी गई। चंद्रशेखर आजाद कृषि विवि कानपुर की फैकल्टी इटावा में शुरु हुई।

आज फिशरीज और डेयरी सहित बीटेक कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई तक हो रही है। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर कृषि प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय में पूरे प्रदेश के छात्र छात्राएं हास्टल में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। महात्मा ज्या‌ेतिवाफूले स्पोर्ट्स स्टेडियम और एस्टोटर्फ हाकी स्टेडियम भी मुलायम सिंह यादव की देन है। इटावा में विकास पुरुष के रूप में मुलायम ‌सिंह यादव को लोग हमेशा याद रखेंगे। इटावा से मुलायम सिंह यादव का जुड़ाव कभी कम नहीं हुआ। वे इटावा आकर अपने परिचितों से मिलना कभी नहीं भूलते। वर्ष 2022 में अप्रैल के महीने में वे सिविल लाइन स्थित अपने आवास पर आखिरी बार आए थे। स्वास्थ्य खराब होने के कारण इसके बाद नहीं आ सके।

समाजवादी पार्टी के नेता एवं पूर्व राज्यमंत्री केपी सिंह चौहान का कहना है कि इटावा वासियों के दिलों में मुलायम सिंह यादव हमेशा जीवित रहेंगे। यहां की गलियों और लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता और अपने पन के न जाने कितने किस्से हैं। जो रह रहकर उनकी याद दिलाते रहेंगे। वे एक ऐसे नेता थे जो हर दल और हर धर्म के लोगों के बीच सम्मान पाते रहे। मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक सहयोगी रहे पूर्वमंत्री रामसेवक यादव गंगापुरा का कहना है कि आज इटावा ने अपनी शान और पहचान को खो दिया है। जिले में जो विकास दिखाई दे रहा है वह नेताजी के कारण ही है। यहां के लोग नेताजी को कभी भुला नहीं पाएंगे।

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