स्मृति शेष: अपनी सरकार बचाने के लिये जब Mulayam Singh Yadav ने 27 साल पहले लिया था यह बड़ा फैसला
हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के धरती पुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव राजनीति के ऐसे बड़े नेता रहे जो राजनीति के हर चाल को बड़े ही खामोशी से चलते थे। उत्तर प्रदेश में 27 साल पहले अल्पमत में आई सरकार को बचाने के लिए उन्होंने ऐसा फैसला लिया था जिससे विपक्ष को तगड़ा झटका लगा …
हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के धरती पुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव राजनीति के ऐसे बड़े नेता रहे जो राजनीति के हर चाल को बड़े ही खामोशी से चलते थे। उत्तर प्रदेश में 27 साल पहले अल्पमत में आई सरकार को बचाने के लिए उन्होंने ऐसा फैसला लिया था जिससे विपक्ष को तगड़ा झटका लगा था। एक वोट की जुगाड़ के लिए एक एमएलए को मंत्री पद का आफर दिया, लेकिन एमएलए ने मंत्री पद लेने से इंकार कर ऐसी शर्त रखी कि उसे पूरी करने के लिए मुलायम सिंह को हमीरपुर के दो टुकड़े करने पड़े। आनन फानन एक आईएएस व आईपीएस को अपने साथ लाकर महोबा को स्वतंत्र जिला बनाने का एलान किया था।
उनके इस फैसले से समाजवादी पार्टी का न सिर्फ वोट बैंक बढ़ा बल्कि इसका असर आसपास के विधानसभा सीटों पर भी पड़ा था।
उत्तर प्रदेश में मायावती के समर्थन से मुलायम सिंह यादव ने 4 दिसंबर 1993 को प्रदेश में पहली बार सरकार बनाई थी, लेकिन गठबंधन की गांठें खुलने के कारण उनकी सरकार 3 जून 1995 तक ही रही। हमीरपुर के बुजुर्ग बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी का कहना है कि मुलायम सिंह राजनीति के ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्होंंने जो फैसला लिया उसे तुरंत अमल में लाते थे, इसीलिए उन्हें धरती पुत्र कहा जाता है।
शुरुआती दौर में अपनी पार्टी का वोट बैंक बढ़ाने के लिए उन्होंने हमीरपुर व महोबा के साथ ही आसपास के जिलों में कई बड़ी रैली कीं। रैली में उन्हें सुनने और देखने के लिए उस जमाने में जन सैलाब उमड़ता था। बता दें कि करीब 3.144 किमी क्षेत्रफल वाले इस जिले में 521 गांव हैं। महोबा, चरखारी और कुलपहाड़ आदि तहसीलें है। इस जिले में चार ब्लाक भी आते हैं।
एमएलए की शर्त पर मुलायम ने लिया था बड़ा फैसला
बुंदेली समाज के संयोजक व बुजुर्ग समाजसेवी ताराचंद्र पाटकर ने बताया कि प्रदेश में अल्पमत में सरकार के आने पर मुलायम सिंह यादव ने सीएम रहते बड़ा फैसला लिया था। अपनी सरकार बचाने और एक वोट के लिए मुलायम सिंह यादव ने महोबा के जनता दल के एमएलए अरिमर्दन सिंह को बुलवाकर मंत्री पद आफर किया था। बताया कि एमएलए ने मंत्री पद लेने से साफ इंकार करते हुए उनके सामने महोबा जिला बनाने की शर्त रखी। जिस पर तत्कालीन सीएम ने आननफानन बड़ा फैसला लिया।
डीएम को साथ लाकर मुलायम ने घोषित किया था जिला
बुंदेली समाज के संयोजक ने बताया कि एमएलए की शर्त पर तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव 11 फरवरी 1995 को हेलीकाप्टर से महोबा आए थे। उनके साथ आईएएस उमेश सिन्हा भी आए थे। मंच से महोबा को स्वतंत्र जिला घोषित करने
के साथ उमेश सिन्हा को डीएम बनाया गया था। उनके इस फैसले से महोबा में घर-घर दीये जलाए गए थे। बता दें कि महोबा पहले हमीरपुर जिले में सम्मिलित था। जिसके अलग होने से यहां के लोगों नाराज हुए थे।
महोबा जिला बनाने को संघ प्रचारक ने किया था आंदोलन
महोबा के बुंदेली समाज के संयोजक एवं समाजसेवी तारा चंद्र पाटकर ने बताया कि महोबा जिला बनाने की मांग को लेकर तत्कालीन संघ प्रचारक पुष्कल सिंह ने आंदोलन को धार दी थी। आन्दोलन भी कई दिनों तक चला था। हर गांव में धरना प्रदर्शन हुए थे, लेकिन महोबा जिला घोषित होने से पहले संघ प्रचारक की हत्या हो गई थी। उनकी स्मृति में बुंदेली समाज के लोग हर साल आल्हा चौक के पास अम्बेडकर पार्क में महोबा जिला स्थापना दिवस धूमधाम से मनाते हैं।
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