विकास का एमपी से पकड़ा जाना यूपी पुलिस और खुफिया तंत्रों की नाकामी
लखनऊ, अमित सिंह। यूपी पुलिस, एसटीएफ और प्रदेश का खुफिया तंत्र गुरुवार को उज्जैन से हुई विकास दुबे की गिरफ्तारी से भले ही चैन की सांस लिए हो, लेकिन विकास का एमपी से पकड़ा जाना यूपी पुलिस और खुफिया तंत्रों की नाकामी को पूरी तरह से उजागर करके रख दिया है। इसके साथ ही यह …
लखनऊ, अमित सिंह। यूपी पुलिस, एसटीएफ और प्रदेश का खुफिया तंत्र गुरुवार को उज्जैन से हुई विकास दुबे की गिरफ्तारी से भले ही चैन की सांस लिए हो, लेकिन विकास का एमपी से पकड़ा जाना यूपी पुलिस और खुफिया तंत्रों की नाकामी को पूरी तरह से उजागर करके रख दिया है।
इसके साथ ही यह भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि तेज तर्रार, हाईटेक और अपने को आधुनिक बताने वाली यूपी पुलिस सिर्फ नाम और दावें की है। बड़ी से बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद बदमाश एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुंच जाए, इतना ही नहीं वहा पर दो चार दिनों का ठहराव भी ले ले तो पुलिस नहीं पहुंच सकती।
सिर्फ पुलिस यह कहती रही है हम अपराधी को ढ़ूढ रहे हैं प्रदेश के सभी थानों को और खुफिया तंंत्रों को अलर्ट कर दिया गया है, गैंगेस्टर कहीं बचकर नहीं जा सकता है। इतना ही नहीं पुलिस तो यह भी कहने से ही नहीं थकती है कि हमने गैंगेस्टर की गिरफ्तारी के लिए दूसरे प्रदेश के पुलिस और एजेंसियों से भी संपर्क साधे हुए हैं। अन्य राज्यों की पुलिस से बेहतर समन्वय है।
आठ पुलिसकर्मियों को मारकर आठ दिन बाद किया सरेंडर
कानपुर के बिकरू कांड में प्रदेश के सीओ, दारोगा सहित आठ पुलिस कर्मियों की जान चली गई। इन आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारने वाले दुर्दांत अपराधी विकास शुक्ला को पुलिस की टीम सात दिन यानि की 168 घंटे तक नहीं पकड़ सकी। वहीं गैंगेस्टर विकास दूबे ने नौ जुलाई गुरुवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के दौरान सरेंडर कर दिया है।
इस दौरान वायरल वीडियो में विकास ने साफ-साफ चिल्लाकर बोला है मै ही कानपुर वाला विकास दूबे हूं, मैं आत्म समर्पण करना चााहता हूं। इस दौरान विकास ने कहा कि मैने इसलिए आत्मसमर्पण किया है कि पुलिस हमारे साथियों को चुन-चुनकर मार रही है।
आठ दिन तक एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक घूमता रहा विकास और सिर्फ लगी रही पुलिस टीमें
कानपुर के बिकरू में निर्मयता से आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारने वाला विकास दूबे आठ दिनों तक यूपी पुलिस ने आंख मिचौली का खेल खेलता रहा, लेकिन पुलिस उसे नहीं गिरफ्तार कर सकी। हरियाणा के फरीदाबाद में पुलिस को भनक लगी की गैंगेस्टर यहां पर किसी प्रभात मिश्रा नाम के अपने साथी के यहां रूका हुआ है। जब तक पुलिस पहुंचती विकास वहां से फरार हो गया।
इस दौरान पुलिस ने उसके साथी प्रभात मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया। वहीं बुधवार की देर रात पुलिस ने उसे मार गिराया, पुलिस ने बताया कि वह गिरफ्तारी के बाद पुलिस का हथियार छिनकर भाग रहा है। आपको बता दें कि दो जुलाई की रात को घटना होने के बाद प्रदेश सरकार पूरी तरह से कार्रवाई की मूड में आ गई थी।
इस दौरान किसी भी स्तर से विकास को पकड़ने के लिए पुलिस टीमों का गठन कर दिया गया। उसकी गिरफ्तारी के लिए 40 टीमें लगाने के साथ ही एक हजार से ज्यादा दारागाओं और हजारों सिपाहियों को सर्चिंग अभियान में लगाया गया था। इतना ही नहीं उसकी गिरफ्तारी के लिए खुफिया तंत्रों को अलर्ट करने के साथ ही बिहार, मध्य प्रदेश दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और छत्तीसगढ़ पुलिस से सहयोग मांगा गया था।
कब क्या हुआ पूरी जानकारी एक नजर में
2 जुलाई: विकास दुबे को गिरफ्तार करने तीन थानों की पुलिस ने बिकरू गांव में दबिश दी, विकास की गैंग ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी।
3 जुलाई: पुलिस ने सुबह सात बजे विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे का एनकाउंटर कर दिया। 20-22 नामजद समेत 60 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
5 जुलाई: पुलिस ने विकास के नौकर और खास सहयोगी दयाशंकर उर्फ कल्लू अग्निहोत्री को घेर लिया। पुलिस की गोली लगने से दयाशंकर जख्मी हो गया। उसने खुलासा किया कि विकास ने पहले से प्लानिंग कर पुलिसकर्मियों पर हमला किया था।
6 जुलाई: पुलिस ने अमर की मां क्षमा दुबे और दयाशंकर की पत्नी रेखा समेत तीन को गिरफ्तार किया। शूटआउट की घटना के वक्त पुलिस ने बदमाशों से बचने के लिए क्षमा दुबे का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन क्षमा ने मदद करने की बजाय बदमाशों को पुलिस की लोकेशन बता दी। रेखा भी बदमाशों की मदद कर रही थी।
8 जुलाई: एसटीएफ ने विकास के करीबी अमर दुबे को मार गिराया। प्रभात मिश्रा समेत 10 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया।
9 जुलाई: प्रभात मिश्रा और बऊआ दुबे एनकाउंटर में मारे गए। विकास दुबे उज्जैन से गिरफ्तार।
