साइकिल रिपेयरिंग करने वाले की बेटी ने अपने पिता का नाम किया रोशन, नासा में देश के लिए करेगी रिसर्च

साइकिल रिपेयरिंग करने वाले की बेटी ने अपने पिता का नाम किया रोशन, नासा में देश के लिए करेगी रिसर्च

महासमुंद। वो कहते हैं न अगर आप में कुछ कर गुजरने का हौंसला है तो आपके सामने आने वाली कोई भी परेशानी मायने नहीं रखती है। चाहें जितनी भी कमजोरियां हों आप कुछ कर दिखाते हैं। छत्तीसगढ़ की एक बेटी ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। जिसके पापा साइकिल रिपेयरिंग का काम करते हैं, लेकिन …

महासमुंद। वो कहते हैं न अगर आप में कुछ कर गुजरने का हौंसला है तो आपके सामने आने वाली कोई भी परेशानी मायने नहीं रखती है। चाहें जितनी भी कमजोरियां हों आप कुछ कर दिखाते हैं। छत्तीसगढ़ की एक बेटी ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। जिसके पापा साइकिल रिपेयरिंग का काम करते हैं, लेकिन बेटी अब नासा में देश के लिए रिसर्च करेगी। क्योंकि 11वीं क्लास में पढ़ने वाली इस लड़की का चयन नासा के सिटिजन साइंस प्रोजेक्ट अभियान के लिए हुआ है। जिसके बाद उसके घर बेशुमार बधाइयां आ रही हैं।

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दरअसल, महासमुंद जिले के पुरातात्विक नगरी सिरपुर की रहने वाली रितिका ध्रुव स्वामी आत्मानंद इंगलिश मीडियम स्कूल नयापारा में 11वीं क्लास में पढ़ती है, उसका चयन नासा के सिटिजन साइंस प्रोजेक्ट अभियान के लिए हुआ है। इस प्रोजेक्ट के तहत नासा इसरो के साथ अंतरराष्ट्रीय खगोलीय खोज सहयोग कार्यक्रम में साझेदारी का हिस्सा है। बता दें ये प्रोजेक्ट क्षुद्रग्रह की खोज करता है और स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए ये संस्था ऐसे प्रोजेक्ट बनाती है। इस प्रोजेक्ट के लिए देश भर से कुल छह स्कूली विद्यार्थीयों को चुना गया है।

रितिका के स्कूली शिक्षक और परिजनों ने बताया कि इस चयन प्रक्रिया के पहले रितिका अनेक प्रतियोगिता का हिस्सा रही हैं। जहां इनका प्रदर्शन सबसे अच्छा था। बता दें रितिका ध्रुव महासमुंद जिले के पुरातात्विक नगरी सिरपुर में रहती हैं। लेकिन पढ़ाई करने इन्हें हर दिन जिला मुख्यालय महासमुंद के स्वामी आत्मानंद इंगलिश मीडियम स्कूल तक 43 किलोमीटर का सफर तय करना होता है। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो रितिका बेहद सामान्य परिवार से है। जहां इनके पिता साइकल रिपेयरिंग की छोटी सी दुकान सिरपुर में ही चलाते हैं। इस लिहाज से रितिका का इसरो तक का सफर उसकी मेहनत और पढ़ाई के लिए बेहद अहम हो जाता है।

यही वजह है कि रितिका ध्रुव की इस सफलता से जिले में खुशी और गौरव का माहौल है। वहीं जब इस उपलब्धि पर रितिका से पूछा गया तो उसने कहा कि उसे इस उपलब्धि से बहुत अच्छा लग रहा है। मैं अपने सपने के काफी करीब हूं। रितिका इस सफलता के लिए अपने शिक्षक और अभिभावकों को क्रेडिट दे रही है। हर समय मेरे शिक्षक और मेरा परिवार मेरे साथ खड़े रहे। मैं इनको थैंक्यू कहना चाहती हूं। रितिका ने कहा है कि आगे भी पढ़ाई जारी रखूंगी।

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