हल्द्वानी: हद हो गई! जब युवाओं का दर्द सुनाते हैं विधायक सुमित हृदयेश तो फोन तक नहीं उठाते जिलाधिकारी
हल्द्वानी, अमृत विचार। प्रदेश में शिक्षित और प्रशिक्षित युवाओं के साथ न्याय नहीं हो रहा है। उस पर जिम्मेदारों की मनमानी भी हावी है। सिडकुल रुद्रपुर स्थित अशोक लेलैंड कंपनी में कार्य कर रहे अस्थायी कर्मचारियों ने रविवार को हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश के आवास पर पहुंचकर मदद की गुहार लगाई। उन्होंने विधायक को अपने …
हल्द्वानी, अमृत विचार। प्रदेश में शिक्षित और प्रशिक्षित युवाओं के साथ न्याय नहीं हो रहा है। उस पर जिम्मेदारों की मनमानी भी हावी है। सिडकुल रुद्रपुर स्थित अशोक लेलैंड कंपनी में कार्य कर रहे अस्थायी कर्मचारियों ने रविवार को हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश के आवास पर पहुंचकर मदद की गुहार लगाई। उन्होंने विधायक को अपने साथ हो रहे अन्याय से अवगत कराया और स्थायी नियुक्ति की मांग की। कर्मचारियों ने फैक्ट्री प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो वह उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।

विधायक सुमित हृदयेश ने बताया कि इससे पूर्व भी अशोक लेलैंड के सैकड़ों अस्थायी कर्मचारियों के साथ उन्होंने कंपनी गेट पर धरना प्रदर्शन किया और वह सफल रहा।
विधायक ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, कंपनी प्रबंधक और ऊधम सिंह नगर जिलाधिकारी युगल किशोर पंत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अशोक लेलैंड कंपनी और उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय साठगांठ से सैकड़ों युवक और युवतियों को डिप्लोमा कराया जाता है और उक्त सभी लोगों से फैक्ट्री में काम लिया जाता है और नौ साल का समय पूरा होने के बाद सैकड़ों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है और कार्य पूर्ण होने के बाद जो डिग्री उनको दी जाती है वह अन्य फैक्ट्रियों में जाने पर मान्य नहीं होती। विधायक ने कहा कि जब इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए उन्होंने उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी को फोन किया तो जिलाधिकारी ने निरंकुश रवैया अपनाते हुए टालमटोल कर दिया और फिर फोन उठाना ही बंद कर दिया।
विधायक ने कहा कि पूर्व में फैक्ट्री प्रबंधक द्वारा आश्वासन दिया गया था कि सभी को स्थायी नियुक्ति दी जाएगी। पिछले कई माह से वह स्थायी नियुक्ति के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, इसके बावजूद अब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि अगर इन होनहारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ और उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो वह उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, अशोक लेलैंड कंपनी और उधम सिंह नगर जिलाधिकारी के दफ्तर के बाहर उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
