हल्द्वानी: 58 दिनों से धरने में बैठे नर्सेज आंदोलनकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री से पूछा ऐसा सवाल, सिर पकड़ लेगी धामी सरकार
हल्द्वानी, अमृत विचार। पिछले 58 दिनों से हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में वर्षवार नियुक्ति की मांग को लेकर धरने पर बैठे नर्सिंग बेरोजगारों का सब्र अब जवाब दे रहा है। सरकार की बेरुखी से परेशान नर्सिंग बेरोजगारों ने हर वो जतन कर लिया है जिसके उनकी मांग पर सरकार गौर करे। लेकिन धामी सरकार और …
हल्द्वानी, अमृत विचार। पिछले 58 दिनों से हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में वर्षवार नियुक्ति की मांग को लेकर धरने पर बैठे नर्सिंग बेरोजगारों का सब्र अब जवाब दे रहा है। सरकार की बेरुखी से परेशान नर्सिंग बेरोजगारों ने हर वो जतन कर लिया है जिसके उनकी मांग पर सरकार गौर करे। लेकिन धामी सरकार और स्वास्थ्यमंत्री हैं कि नर्सिंग बेरोजगारों की मांग पर गौर करना तो दूर उन्हें सांत्वना देना भी जरुरी नहीं समझ रहे। बुद्ध पार्क में विपरीत हालातों की मार झेलने के बावजूद नर्सिंग बेरोजगार ठिगे नहीं हैं। हर रोज कुछ न कुछ ऐसा करते हैं कि जिससे सरकार उनकी सुध ले। मंगलवार को बुद्ध पार्क से नर्सिंग बेरोजगारों ने कुछ ऐसा ही संदेश देने की कोशिश की। युवा पहाड़ी कार्तिक उपाध्याय ने स्वास्थ्य मंत्री के नाम पत्र लिखकर सवाल पूछा कि क्या अमृत पिया हुआ है स्वास्थ्य मंत्री ने ? आप भी पढ़िए स्वास्थ्य मंत्री के नाम खुले पत्र में और क्या क्या लिखा है….

स्वास्थ्यमंत्री जी आपसे यह जानना है कि समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत निकला था क्या वह आपने, आपके परिजनों एवं मित्रगणों द्वारा ग्रहण किया गया था? यह सवाल इसलिए क्योंकि उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली और अव्यवस्थाओं के कारण ना जाने कितने नागरिकों की जान जा चुकी है और आज भी जा रही है। महोदय राज्य बनने के बाद से राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में स्टाफ नर्सेज के 11741 पद (जो कि स्वीकृत पद हैं) रिक्त पड़े हुए हैं, महोदय आपकी ही सरकार द्वारा 12 दिसंबर 2020 को 2621 पदों पर स्टाफ नर्स की भर्ती हेतु विज्ञप्ति जारी की गई थी, बड़ा दुर्भाग्य है जहां एक तरफ अस्पतालों में स्वीकृत पद रिक्त पड़े हुए हैं और नर्सेज की भारी कमी की वजह से उत्तराखंड के पहाड़ों के गरीब अच्छा स्वास्थ्य इलाज इन अस्पतालों में नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ दो साल तक यह नियुक्ति ना होना आपकी असंवेदनशीलता और विफलता का प्रमाण पत्र देता है।
महोदय, आज उत्तराखंड का नागरिक मूलभूत सुविधाओं के लिए लाचार है, जिसके प्रमुख कारण आप एवं राज्य सरकार है। आखिर यह भर्तियां क्यों निकाली गई? जब आप एवं राज्य सरकार के भीतर ऐसी ताकत नहीं थी कि भर्तियों की इन विज्ञप्ति को नियुक्ति में बदला जा सके। अस्पताल में स्टाफ और स्टाफ नर्स की कमी और आउटसोर्सिंग से कार्य कर रहे स्टाफ एवं नर्सेज के उत्पीड़न के कारण आज उत्तराखंड के नागरिकों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। महोदय, जिस तरह आप ऐसी स्थिति के बाद भी प्रदेश भर में विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं साथ ही अपने सोशल मीडिया से कार्यक्रम के दौरान किए गए फोटोशूट को आम जनता के सामने रखकर गुमराह करते हैं उससे यह तो प्रतीत होता है कि आप एवं राज्य सरकार बेशर्मी की सारी हदें पार कर चुकी है। लेकिन जिस तरह बिना इलाज मरते नागरिकों को देख कर भी आप एवं राज्य सरकार आंखें बंद करके वीआईपी एवं वीवीआइपी जीवन अपने परिवार एवं मित्र जनों के साथ जी रहे हैं उससे मानो ऐसा लगता है कि समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत देवताओं को प्राप्त हुआ शायद उसका कुछ भाग आपको भी मिल गया, जिसे आपके एवं आपके परिवार जनों एवं मित्र जनों द्वारा ग्रहण किया गया तभी आज आप इतने आश्वस्त हैं कि कल शायद आपको अस्पताल जाना ही ना पड़े। शायद आपको इन नर्सों की सेवा लेनी ही ना पड़े। अगर आपके भीतर थोड़ा भी अपने भविष्य एवं वृद्धावस्था की चिंता होती और आपने अमृत ग्रहण नहीं किया होता तो शायद आज 58 दिन से धरने पर बैठे इन बेरोजगार नर्सेज की मांग को अब तक मान लिया होता और इनकी भर्तियों के लिए शासनादेश जारी हो चुका होता। अगर आपको अपने वृद्धावस्था की और इन नर्सों से सेवा लेने की चिंता होती तो शायद अब तक यह नियुक्तियां भी हो चुकी होती।
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में बैठे प्रधानमंत्री को देखकर ऐसा लगता है कि वह शायद भारत के प्रधानमंत्री है ही नहीं, सिर्फ भारतीय जनता पार्टी और आप लोगों के प्रधानमंत्री हैं जब देश पर विपत्ति आई, तो नर्सेज का पूरा सहयोग अपनी राजनीतिक साख को बचाने के लिए हर तरीके से लिया और उसके बदले में राज्य सरकार को साथ लेकर इन नर्सेज के लिए सिर्फ तालियां, थालियां, घंटियां बजवा दी गईं। उस दौरान लगा था कि आपके प्रधानमंत्री वाकई सेवक हैं और इन नर्सेज के प्रति संवेदनशील भी तभी उनके सम्मान में यह सब कार्यक्रम किए गए। हालांकि जैसे ही विपत्ति दूर हुई प्रधानमंत्री और आप एवं आप की राज्य सरकार द्वारा इन नर्सेज से मुंह मोड़ लिया गया।
जिस आउटसोर्सिंग कंपनी को राज्य सरकार द्वारा कोरोनाकाल में नर्सेज अस्पतालों में सेवा प्रदान के लिए लाया गया, वह भी राज्य के भीतर ब्लैक लिस्टेड थी और तीन माह का वेतन आज तक उन नर्सेज को नहीं मिला। जिन्होंने एक अदृश्य शत्रु के सामने अपनी जान गिरवी रखकर काम किया, जिस दौरान आप, आपकी सरकार, आपके कैबिनेट मंत्री आपके विधायक और प्रधानमंत्री एसी कमरों में बैठकर दिन रात वर्चुअल बैठक कर रहे थे। उस दौरान अपने परिवार, अपने बच्चों, माता पिता को छोड़कर यह नर्सेज अपनी जान हाथ में लिए अस्पतालों के भीतर पीपीई किट पहनकर लोगों की जान बचा रही थे।
अगर आपने, आपके परिवार एवं मित्रजनों सहित सभी विधायकों मंत्रियों एवं आपके प्रधानमंत्री ने समुद्र मंथन के दौरान निकला अमृत नहीं पिया है तो आज आप सभी बेशर्मी छोड़कर 58 दिन से धरने पर बैठे इन नर्सेज की मांग को मानें और जल्द से जल्द इन पदों पर नियुक्ति करके न सिर्फ इंसाफ दें बल्कि बेइलाज मरते उत्तराखंड के नागरिकों को भी उनका मौलिक अधिकार (स्वास्थ्य का अधिकार) प्रदान करें।
