‘गोवा केवल मूलवासियों के लिए’ की अवधारणा से सहमत नहीं हूं: राज्यपाल
केपेम। गोवा के राज्यपाल पी. एस. श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि वह ‘गोवा केवल मूलवासियों के लिए’ की अवधारणा से सहमत नहीं हैं और अतीत से पता चलता है कि ऐसे विचार का देश में कोई औचित्य नहीं रहा है। राज्यपाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए विशेष साक्षात्कार के दौरान शिवसेना का नाम लिए बिना कहा, …
केपेम। गोवा के राज्यपाल पी. एस. श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि वह ‘गोवा केवल मूलवासियों के लिए’ की अवधारणा से सहमत नहीं हैं और अतीत से पता चलता है कि ऐसे विचार का देश में कोई औचित्य नहीं रहा है। राज्यपाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए विशेष साक्षात्कार के दौरान शिवसेना का नाम लिए बिना कहा, “पहले एक संगठन हुआ करता था, जो अब एक राजनीतिक दल बन गया है, मैं नाम का उल्लेख नहीं करना चाहता …मुंबई में ऐसा एक कदम उठाया गया था, लेकिन अब उस संगठन में दक्षिण भारतीयों की राजनीतिक गतिविधियों के लिए एक प्रकोष्ठ है।”
राज्यपाल शनिवार को एक कार्यक्रम के तहत दक्षिण गोवा जिले के केपेम गांव का दौरा कर रहे थे। गौरतलब है कि शिवसेना ने 1960 में दक्षिण भारतीयों के खिलाफ आंदोलन किए थे। राज्य का सबसे नया राजनीतिक दल ‘रिवॉल्यूशनरी गोवन्स’ मांग कर रहा है कि गोवा केवल मूल निवासियों के लिए होना चाहिए। पार्टी ने मांग की है कि 1961 (जब गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्ति मिली थी) से पहले राज्य में पैदा हुए लोगों या उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरियों व अन्य सामाजिक कल्याण लाभों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
पार्टी ने पिछले विधानसभा सत्र में गोवा मूल के व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक गैर-सरकारी विधेयक पेश किया था, जिसे सदन की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। कुछ स्थानीय समूहों द्वारा प्रचारित ‘गोवा केवल मूलवासियों के लिए’ की अवधारणा के बारे में पूछे जाने पर राज्यपाल ने कहा, “गोवा दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्रों में से एक है। लोग बहुत ग्रहणशील भी हैं।” उन्होंने कहा कि गोवा के लोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों की संस्कृतियों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
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