यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए दिल्ली महिला आयोग ने सख्त कानून की मांग की

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नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग ने राज्य सरकार को सौंपी एक रिपोर्ट में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) कानून को लागू करने में कई खामियों को रेखांकित किया है। कानून के तहत यह जरूरी है कि हर जिले में स्थानीय शिकायत समिति (एलसीसी) गठित की जाए और वे सही तरीके …

नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग ने राज्य सरकार को सौंपी एक रिपोर्ट में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) कानून को लागू करने में कई खामियों को रेखांकित किया है। कानून के तहत यह जरूरी है कि हर जिले में स्थानीय शिकायत समिति (एलसीसी) गठित की जाए और वे सही तरीके से काम करें। समिति को उन संस्थाओं से यौन उत्पीड़न की शिकायतें मिलती हैं जहां 10 से कम कर्मचारी होने की वजह से आंतरिक शिकायत समिति नहीं है या शिकायत नियोक्ता के ही खिलाफ है।

राष्ट्रीय राजधानी में एलसीसी आयोग ने दिल्ली के सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को नोटिस जारी कर संबंधित जिलों में शिकायत समिति के संबंध में जानकारी मांगी थी। यह देखा गया कि 2019 से 2021 तक सभी एलसीसी को सिर्फ 40 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। आयोग के मुताबिक, पिछले तीन साल में दक्षिण-पश्चिम जिले में केवल तीन मामले निपटाए गए और पश्चिमी जिले ने किसी भी मामले का निपटारा नहीं किया। उसने कहा कि कानून के तहत इन समितियों का अध्यक्ष सामाजिक कार्य के क्षेत्र में से प्रतिष्ठित महिलाओं को बनाया जाना है लेकिन कई जिले इसका पालन नहीं कर रहे हैं।

आयोग ने यह भी कहा कि अधिकतर जिलों ने प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों से बाहरी सदस्यों को भी नियुक्त नहीं किया है। उसने कहा कि समितियों को कार्यालय के लिए स्थान, बजट और कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है। इससे उनका कामकाज ठप हो गया है। उदाहरण के लिए, दक्षिण, पश्चिम और शाहदरा जिलों ने सूचित किया है कि समितियों के कामकाज के लिए कोई समर्पित कमरा या कर्मचारी आवंटित नहीं किए गए हैं। उसमें कहा गया है कि पूर्वी जिले, शाहदरा जिले और पश्चिमी जिले ने सूचित किया है कि उन्हें बजट आवंटित नहीं किया गया है। नई दिल्ली जिले ने कहा है कि जब भी जरूरत पड़ती है तो एलसीसी के व्यय को ‘कार्यालय व्यय’ के तहत दर्ज किया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, समितियों से समर्पित बजट के बिना ठीक से काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। रिपोर्ट ने इन समितियों के अस्तित्व के बारे में प्रचार की कमी को भी रेखांकित किया है।

आयोग ने सिफारिश की है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन शिकायतें प्राप्त करने के लिए प्रभावी तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। उसने कहा कि कम संख्या में शिकायतों के दर्ज होने की वजह यह भी हो सकती है कि लोगों को एलसीसी और कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 के प्रावधानों की जानकारी न हो। आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कहा कि राजधानी में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून को लागू करने की दयनीय स्थिति चिंताजनक है। हमने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को एक विस्तृत रिपोर्ट दी है और उस पर तत्काल कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधी कानून के प्रावधानों और स्थानीय शिकायत समितियों का पर्याप्त प्रचार सुनिश्चित करना चाहिए।

 

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