लखनऊ: राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद कराने के लिये लिखा पत्र, हुआ वायरल

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लखनऊ। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की तरफ से अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद कराने की बात कही थी। इस पत्र में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जो खामियां गिनाई गयी, उससे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जो तस्वीर निकल कर सामने आई वह काफी …

लखनऊ। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की तरफ से अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद कराने की बात कही थी। इस पत्र में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जो खामियां गिनाई गयी, उससे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जो तस्वीर निकल कर सामने आई वह काफी भयावह बताई जा रही है। आज वह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

बताया जा रहा है कि कुछ माह पूर्व आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने लखनऊ के गोसाईगंज स्थित मदरसे का निरीक्षण किया । बताया जा रहा है कि उस मदरसे में दो बच्चों को पैरों में जंजीर बांधकर रखा गया था, साथ ही उस मदरसे में अनेक अनियमिततायें भी पायी गयी। जांच के दौरान ही पता चला कि यह मदरसा गैर मान्यता प्राप्त था, जिसका संज्ञान आयोग द्वारा लिया जा चुका है।

उसके बाद आयोग की तरफ से अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा गया,जिसमें कहा गया कि पूर्व निरीक्षणों में प्रदेश में कई मदरसे गैर मान्यता प्राप्त व विधि विरुद्ध संचालित हो रहे है। ऐसे मदरसे बच्चों को स्कूली यानी कि शिक्षा से वंचित कराकर अपने यहाँ प्रवेश ले रहे है, जिनमें कुछ मदरसों में बच्चों के साथ शारीरिक, मानसिक एवं लैंगिक शोषण का प्रकरण भी आयोग के संज्ञान में आया है।

ऐसे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की निगरानी किसी भी विभाग द्वारा नहीं हो पाती है। जिसके कारण ऐसी अमानवीय घटनाओं की जिम्मेदारी कोई विभाग लेने को तैयार नहीं होता है। ऐसे मदरसो में पढ़ने वाले बच्चे गुणवत्तापरक शिक्षा, सुदृढ स्वास्थ्य, सर्वांगीण विकास आदि से वंचित हो रहे है तथा समाज की मुख्य धारा से भी दूर होते जा रहे है।

आयोग ने यह भी कहा कि 6-14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा न देना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। यह बच्चे कला,आगनवाडी केन्द्रों पर पंजीकृत न होने के कारण सरकार की मिड-डे मील योजना,पुष्टाहार, टीकाकरण प्राप्त होने से भी वंचित रह जाते है। जिसके कारण बच्चों का सर्वागीण विकास नहीं हो पा रहा है।

राष्ट्रीय बाल नीति 2013 के अनुसार बच्चे देश की धरोहर है। बचपन को जीवन का अटूट अंश माना गया है और यह अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। प्रदेश का प्रत्येक बच्चा देश का भविष्य है। देश की उन्नति में बच्चों की अहम भूमिका होती है कुछ मदरसों के द्वारा बच्चों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया जा रहा है। जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए एवं 39 (एफ) की अवहेलना है। ऐसे में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को चिन्हित कर उन्हें बंद कराया जाये,साथ ही की गयी कार्रवाई से आयोग को अवगत भी कराया जाये।

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