अशरफी और रज़वी एक साथ मिलकर आला हजरत के मिशन को आगे बढ़ाने का कार्य करें- मंनानी मियां

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बरेली, अमृत विचार। जामिया नूरीया के प्रबंधक और आला हज़रत खानदान की बुजुर्ग शख्सियत मौलाना मन्नान रजा खां मंनानी मियां दो महीने की विदेश यात्रा करके आज बरेली वापस पहुंचे, दरगाह आला हज़रत स्थित नूरी मरकज़ पर उलमा और मुरिदीन ने जोरदार स्वागत किया। हज़रत मंनानी मियां ने हॉलैंड, इंग्लैंड, नीदरलैंड, वेस्ट इंडीज़, जर्मन, ज्ञयाना, …

बरेली, अमृत विचार। जामिया नूरीया के प्रबंधक और आला हज़रत खानदान की बुजुर्ग शख्सियत मौलाना मन्नान रजा खां मंनानी मियां दो महीने की विदेश यात्रा करके आज बरेली वापस पहुंचे, दरगाह आला हज़रत स्थित नूरी मरकज़ पर उलमा और मुरिदीन ने जोरदार स्वागत किया। हज़रत मंनानी मियां ने हॉलैंड, इंग्लैंड, नीदरलैंड, वेस्ट इंडीज़, जर्मन, ज्ञयाना, स्पैन और साउथ अमेरिका सूरीनाम जैसे देशों का रूहानी और तबलिगी दौरा किया।

मौलाना मन्नान रजा खां मंनानी मियां ने बताया कि भारत में बहुत सारे रूहानी सिलसिले है, इन रूहानी सिलसिलों में दो बड़े सिलसिले है जिनके मुरिदीन दुनिया में बड़ी तादाद में पाए जाते हैं। एक सिलसिला ‘अशरफी’ है  जिसका मरकज किछौछा शरीफ है और दूसरा सिलसिला ‘रजवी’ जिसका मरकज बरेली शरीफ हैं। इन दोनों रुहानी सिलसिलों के पीरों और मुरिदों में 25 साल से इख्तिलाफात चलें आ रहें थें।

इस सफर में साउथ अमेरिका सूरीनाम में अशरफी सिलसिले की तरफ से मोहद्दीस आजम हिन्द के पोते मौलाना सय्यद नूरानी मियां कीछोछवी और रजवी सिलसिले की तरफ से आला हजरत के पोते मौलाना मन्नान रजा खां मंनानी मियां की आपसी मीटिंग हुई, दोनों उलमा ने बैठक कर निर्णय लिया कि अब इख्तिलाफात करने का वक्त नहीं है बल्कि इत्तेहाद का समय है। पूराने मसाइल और विवादों को भूलकर आगे बढ़ने की जरूरत है और आपसी इत्तेहाद इतिफाक के साथ अशरफी और रज़वी दोनों गले मिलकर एक साथ हाथ मिलाकर आला हजरत के मिशन को आगे बढ़ाने का कार्य करें।

साऊथ अमेरिका सूरीनाम देश रज़वी अशरफी इत्तेहाद का गवाह बना, इन दोनों उलमा ने वहां नूरूल इस्लाम के नाम से एक मस्जिद का उद्घाटन किया, इस मौके पर सूरीनाम के राष्ट्रपति चान संतोखि भी मौजूद थे।

हजरत मंनानी मियां की ये धार्मिक यात्रा उन देशों में हुई है जहां पर आला हजरत खानदान या बरेलवी उलमा अभी तक नहीं पहुंचें है। मंनानी मियां का कहना है कि उन देशों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है मगर आला हजरत का लिट्रेचर उर्दू ज़ुबान में है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए आला हज़रत के लिट्रेचर की विभिन्न भाषाओं में ज़रूरत है, जल्द ही इस पर काम किया जाऐगां और कुछ लेखकों को किताबों का अंग्रेजी में तर्जुमा करने को लिए जिम्मेदारी दी जाएगी। इस सम्बन्ध में उर्स आला हजरत के मौके पर उलमा तकरीरें भी करेंगें।

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