लक्ष्य से पीछे
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जरूरतमंदों को घर बनाने के लिए ऋण पर सब्सिडी दी जाती है। केंद्र सरकार की ओर से 2022-23 की योजना के लाभार्थियों की सूची जारी कर दी गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2015 में शहरी क्षेत्रों के लिए शुरू की गई थी। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) को वर्ष …
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जरूरतमंदों को घर बनाने के लिए ऋण पर सब्सिडी दी जाती है। केंद्र सरकार की ओर से 2022-23 की योजना के लाभार्थियों की सूची जारी कर दी गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2015 में शहरी क्षेत्रों के लिए शुरू की गई थी। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) को वर्ष 2016 में शुरू किया गया था।
योजना की शुरुआत के लगभग सात बरस हो चुके हैं और अब हम शुरुआती समय सीमा से बहुत आगे आ चुके हैं। ऐसे में योजना की समीक्षा के साथ-साथ आगे की राह को समझना जरूरी हो जाता है। नीति आयोग के ‘नए भारत की रणनीति’ दस्तावेज़ के मुताबिक़, भारत को इस समय 4.2 करोड़ मकान चाहिए।
ग्रामीण भारत में सबके लिए मकान का लक्ष्य हासिल करने के लिहाज़ से प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण एक महत्वाकांक्षी योजना है। योजना के तहत वर्ष 2022 के अंत तक सभी बुनियादी सुविधाओं वाले 2.70 करोड़ नए मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार के मुताबिक़ 1.83 करोड़ घर बन चुके हैं। ज़ाहिर है कि ये योजना अपने लक्ष्य पूरा करने के मामले में बहुत पीछे चल रही है।
पीएम आवास योजना (ग्रामीण) केंद्र सरकार से प्रायोजित है। इसकी लागत में मैदानी इलाकों में केंद्र और राज्यों की सरकारें 60:40 प्रतिशत के अनुपात में खर्च वहन करती हैं, तो पहाड़ी इलाक़ों में ये अनुपात 90:10 प्रतिशत होता है। कई राज्य इस योजना में अपने हिस्से की रक़म नहीं देते हैं, जिससे इस योजना की प्रगति अटक जाती है। 2020 में नौ राज्यों ने लाभार्थियों को दी जाने वाली 2915.21 करोड़ रुपए की रक़म रोक रखी थी।
कुछ राज्यों में तो केंद्र सरकार की तरफ़ से ही रकम समय पर नहीं दी जाती है। सरकार को चाहिए कि वो राज्यों के हिस्से की रक़म समय पर जारी करना सुनिश्चित करे और केंद्र सरकार की तरफ़ से भी मनरेगा की तरह सीधे लाभार्थी के खाते में पैसे भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए। राज्य सरकारों को चाहिए कि वो समय पर फंड जारी कर दें जिससे परियोजना बिना किसी देरी के सही समय पर पूरी की जा सके।
लाभार्थियों को मकान बनाने के लिए कर्ज आसानी से मिल जाए, इसका इंतज़ाम भी करना होगा। भूमिहीन परिवारों को इस योजना में शामिल किए जाने की ज़रूरत है। क्योंकि समाज के इसी तबक़े को मकान बनाने के लिए सरकार से सहयोग की सबसे अधिक जरूरत है। समय की मांग है कि इस योजना की कमियों को स्वीकार करके ऐसे बदलाव किए जाएं, ताकि ग्रामीण क्षेत्र की भूमिहीन आबादी को मकान मुहैया कराया जा सके।
