लखनऊ: WHO ने केजीएमयू को नोडल सेंटर किया घोषित, मांकीपॉक्स के जांच व इलाज में निभायेगा अहम भूमिका
लखनऊ। कोरोना वायरस के बाद अब मंकीपॉक्स वायरस का खतरा मंडराने लगा है। मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह वायरस अब तक दुनिया के 50 से अधिक देशों में फैल चुका है। भारत में भी इसके …
लखनऊ। कोरोना वायरस के बाद अब मंकीपॉक्स वायरस का खतरा मंडराने लगा है। मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह वायरस अब तक दुनिया के 50 से अधिक देशों में फैल चुका है। भारत में भी इसके कुछ मामले हाल के दिनों में सामने आये हैं।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित केजीएमयू को नोडल सेंटर बनाया है। जिससे मंकीपॉक्स वायरस की समय रहते जानकारी कर उसके रोकथाम के लिए उचित कदम उठाया जा सके। उक्त बात की जानकारी केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ.बिपिन पुरी ने शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान दी।
दरअसल,कोरोना काल में केजीएमयू ने कोविड प्रबंधन से लेकर मरीज के जांच व इलाज में अहम भूमिका निभाई थी। इन्हीं बातों को देखते हुये मंकीपॉक्स वायरस की रोकथाम,जांच व इलाज के लिए केजीएमयू को नोडल सेंटर बनाया है। कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ.बिपिन पुरी ने बताया कि लगभग छ: महीनों से हमने न्यूरो क्रिटिकल केयर को लेकर काफी मेहनत की है,इसके पीछे की वजह ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को समय रहते इलाज मुहैया कराना है।
उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक होने पर यदि मरीज को एक से दो घंटे में इलाज मिल जाये,तो उसको जल्द स्वस्थ्य लाभ मिल सकता है। ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को समय पर इलाज मिले,उनके दिमाग में हुई क्षति को ठीक किया जा सके, इसके लिए 6 बेड का न्यूरो क्रिटिकल केयर युनिट बन कर तैयार है। वहां पर मरीजों को इलाज दिया जा रहा है।
डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन में लगाई गयी एक्मो मशीन
कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ.बिपिन पुरी ने बताया कि फेफड़े फेल होने पर वेंटीलेटर भी काम नहीं करता, ऐसे में एक्मो मशीन मरीज की जिंदगी बचाने में अहम भूमिका निभा सकती है। उन्होंने बताया कि फेफडों के पूरा खराब होने पर एक्मो ही एक विकल्प होता है। जिसके डॉक्टरों के सपोर्ट में रखने पर मरीज की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि एक मशीन केजीएमयू में पहले से थी,जबकि दूसरी मशीन डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन को मिली है। उन्होंने बताया कि मशीन से बेहतर परिणाम मिले इसके लिए चिकित्सकों ने प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लिया है।
स्टूडेंट से फीड बैक लेगा केजीएमयू
कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ.बिपिन पुरी ने बताया कि स्टूडेंट को शिक्षा के लिए बेहतर माहौल देने के लिए स्टूडेंट से फीड बैक लेने का कार्य शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि केजीएमयू में 3 हजार से अधिक स्टूडेंस है,उन्हें पढ़ाई ,शोध,मरीजों को देखने में ,यहां के माहौल में किस तरह की समस्या आ रही है। इसके बारे में जानने के लिए फीड बैक कार्यक्रम शुरू किया गया है। समस्या की जानकारी होने पर उसका निदान भी समय रहते किया जा सकेगा।
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