कोटाबाग: कब होगा स्यात के राजीव गांधी विद्यालय का ‘नव उदय’

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कोटाबाग, अमृत विचार। जिले के दूरस्थ क्षेत्र स्यात में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय बदइंतजामी, बजट की कमी और बेपरवाही की भेंट चढ़ने को तैयार है। इस आवासीय विद्यालय में वॉर्डन, प्राचार्य के रिक्त पद तो दूर बिजली, पानी, भोजन जैसे बुनियादी इंतजाम भी नहीं हैं। ऐसे में मध्यम व कमजोर वर्ग के अभिभावकों को परेशानी …

कोटाबाग, अमृत विचार। जिले के दूरस्थ क्षेत्र स्यात में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय बदइंतजामी, बजट की कमी और बेपरवाही की भेंट चढ़ने को तैयार है। इस आवासीय विद्यालय में वॉर्डन, प्राचार्य के रिक्त पद तो दूर बिजली, पानी, भोजन जैसे बुनियादी इंतजाम भी नहीं हैं। ऐसे में मध्यम व कमजोर वर्ग के अभिभावकों को परेशानी हो रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवार ने राज्य की पहली निर्वाचित सरकार के कार्यकाल में 23 अगस्त 2004 को कोटाबाग के दूरस्थ क्षेत्र स्यात मे राजीव गांधी नवोदय विद्यालय की नींव रखी थी। उनका मानना था कि यहां विद्यालय बनने से स्थानीय मध्यम व कमजोर वर्ग के परिवारों के मेधावियों को गुणवत्तापरक शिक्षा मिलेगी ताकि वे नई चुनौतियों का सामना करने को तैयार होंगे। वहीं, दूरस्थ क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बनेंगे। शुरुआत में सैकड़ों बच्चों ने प्रवेश लिया। अब उनकी यह सोच धूमिल होती दिख रही है। इधर, वर्तमान में विद्यालय में 450 बच्चे आवासीय शिक्षा ले रहे हैं। फिर भी यह विद्यालय कई समस्याओं से जूझ रहा है।

नहीं हैं बिजली-पानी के पर्याप्त इंतजाम

राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में बिजली व पानी के पर्याप्त इंतजाम नहीं है। विद्यालय में बिजली आपूर्ति ठप होने जाने पर जेनरेटर नहीं है। ऐसे में शाम के समय अंधेरे में बहुत परेशानी होती है। पानी की भी लाइन नहीं है। जो वाटर प्यूरिफायर लगा है उसकी सालों से सर्विस नहीं हुई है इस वजह से बच्चे दूषित पानी पीने को विवश हैं।

75 रुपये में दिन में तीन बार कैसे मिले भोजन

विद्यालय में बच्चों को भोजन की सुविधा दी जाती है। विद्यालय की ओर से ठेकेदार को प्रति बच्चा 75 रुपया भुगतान किया जाता है। इस महंगाई के दौर में ठेकेदार के सामने बड़ी चुनौती बन गई है कि किस तरह 75 रुपये में बच्चे को दिन में तीन बार पौष्टिक भोजन मुहैया कराए। ऐसे में बच्चों के भोजन को लेकर भी संकट है।

अब तक नहीं है स्थायी प्राचार्य व वॉर्डन

विद्यालय में अब तक स्थायी प्राचार्य नहीं है। हालत यह है कि वर्ष 2008 से विद्यालय प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहा है। वहीं आवासीय विद्यालय होने के बाद भी यहां वॉर्डन की तैनाती नहीं है ऐसे में बच्चों में अनुशासन की कमी है। विद्यालय में अनुशासनहीनता व लापरवाही की शिकायतें सामने आ रही हैं।

यूनिफार्म, मेडिकल के लिए नहीं है बजट

दूरस्थ क्षेत्र में विद्यालय होने के बाद यहां बच्चों के लिए मेडिकल बजट नहीं है। हालात इतने बदतर है कि स्कूल की अपनी एंबुलेंस और इमरजेंसी मेडिकल दवाई, पट्टी के लिए फंड तक नहीं है। यदि कोई बच्चा बीमार होता है तो अभिभावक खुद ही गाड़ी से अस्पताल लेकर जाते हैं।

विद्यालय में बच्चों के पीने के लिए शुद्ध पानी, बिजली, यूनिफार्म, मेडिकल इमरजेंसी की कोई सुविधा नहीं है। बच्चों की डायट के लिए प्रतिदिन 75 रुपये प्रति बच्चा ठेकेदार को मिल रहा है ऐसे में बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है। जबकि बढ़ते हुए बच्चों के विकास के लिए पौष्टिक भोजन की जरूरत होती है। शिक्षकों के साथ हुई वार्ता में कई दफा इसको लेकर मांग उठाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यदि हालात नहीं सुधरे तो जल्द ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

  • भुवन बधानी, पूर्व अध्यक्ष, राजीव गांधी नवोदय विद्यालय स्यात

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