मुरादाबाद के जांबाज ने खट्टे कर दिए थे दुश्मनों के दांत, यहां पढ़ें पूरी कहानी

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कांठ/मुरादाबाद/अमृत विचार। कारगिल युद्ध में शहादत देकर वीरगति को प्राप्त होने वाले गोविंदपुर के जांबाज महीपाल सिंह ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। अपने अदम्य साहस के बल पर इस वीर शहीद ने दुश्मनों की सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर कांठ तहसील क्षेत्र …

कांठ/मुरादाबाद/अमृत विचार। कारगिल युद्ध में शहादत देकर वीरगति को प्राप्त होने वाले गोविंदपुर के जांबाज महीपाल सिंह ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। अपने अदम्य साहस के बल पर इस वीर शहीद ने दुश्मनों की सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर कांठ तहसील क्षेत्र के ग्राम गोविंदपुर के रहने वाले महीपाल सिंह कारगिल युद्ध में दुश्मनों की सेना को पीछे हटाते हुए शहीद होकर वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उनकी शौर्यगाथा का प्रतीक स्मारक आज भी इस क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणादायी है।

गोविंदपुर निवासी हरकेश सिंह के बेटे महीपाल सिंह की इच्छा सेना में जाने की थी। इंटर की शिक्षा के बाद उसने सेना में जाने की ठान ली और इसमें सफलता हासिल करते हुए 1985 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए। 14 साल की सेवा के दौरान देश के कई हिस्सों में तैनाती के समय फर्ज को अंजाम दिया। कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की बमबारी व गोलाबारी से विचलित न होकर महीपाल ने एक सच्चे भारतीय सपूत का परिचय देते हुए मोर्चा संभाले रखा। परंतु अचानक हुए हमले में वह वीरगति को प्राप्त हो गए।

शहादत देकर की सीमा की रक्षा 
महिपाल सिंह ने कारगिल युद्ध में देश की सीमा की रक्षा में अपनी शहादत देकर देश और कांठ क्षेत्र को गौरवान्वित किया था। वह जम्मू-कश्मीर में तैनात थे, तभी कारगिल युद्ध छिड़ने पर उन्हें भी दुश्मनों से लड़कर देश सेवा का अवसर मिला। करेन को कंधे पर उठाना महंगा पड़ा बेयरस्टो को

पत्नी और बेटियों को शहादत पर गर्व
महीपाल की 56 वर्षीय पत्नी उमेश देवी को अपने पति के शौर्य और बलिदान पर गर्व है। उनकी दो बेटियों से बड़ी ज्योति (28) विवाहित है। दूसरी बेटी जौली (23) ने बीटीसी उत्तीर्ण की है। इन दोनों को अपने पिता की वीरता का स्वाभिमान है। छोटी बेटी जौली ने मंगलवार को कारगिल विजय दिवस पर अपने शहीद पिता के स्मारक पर पहुंचकर उन्हें माल्यार्पण कर नमन किया।

प्रशासनिक उपेक्षा से निराश है शहीद की पत्नी
शहीद की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों को प्रशासन की उपेक्षा से निराशा भी है। पत्नी का कहना है कि खुद के खर्चे से अपनी भूमि पर उनकी स्मारक बनवाई है। जहां हर दिन शाम को छोटी बेटी पिता के स्मारक पर दीपक जलाती है। शहीद की विधवा होने के बाद भी कोई राजकीय एवं शासकीय सम्मान व सहयोग नहीं मिला है। महीपाल की पत्नी का कहना है कि शहीद स्मारक तक खड़ंजा पूर्व जिला पंचायत सदस्य मतलूब अहमद ने और उनके आवास के सामने पूर्व ग्राम प्रधान अजय कुमार यादव ने बनवाया था। पूर्व ग्राम प्रधान अजय कुमार यादव, पूर्व जिला सचिव प्रीतम सिंह यादव और सुमित यादव का कहना है कि कारगिल में शहीद महिपाल सिंह यादव ने क्षेत्र ही नहीं अपितु देश का गौरव बढ़ाया है। उनकी वीरता पर क्षेत्रवासियों को स्वाभिमान है। हालांकि लोगों को यह भी दुख है कि कारगिल शहीद दिवस पर किसी भी राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शहीद की स्मारक पर श्रद्धा सुमन तक अर्पित करने नहीं आए।

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