‘एक रुपए वाले डॉक्टर’ पद्मश्री सुशोवन बनर्जी का निधन, PM Modi ने जताया शोक
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध ‘एक रुपये वाले डॉक्टर’ पद्मश्री सुशोवन बनर्जी (83) का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में मंगलवार को निधन हो गया। राज्य में आदिवासियों को मात्र ₹1 में चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने को लेकर डॉक्टर बनर्जी को इस नाम से जाना जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने …
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध ‘एक रुपये वाले डॉक्टर’ पद्मश्री सुशोवन बनर्जी (83) का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में मंगलवार को निधन हो गया। राज्य में आदिवासियों को मात्र ₹1 में चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने को लेकर डॉक्टर बनर्जी को इस नाम से जाना जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक जताया है।
ডাক্তার সুশোভন বন্দ্যোপাধ্যায় সর্বশ্রেষ্ঠ মানবাত্মার প্রতীক। অসংখ্য মানুষের রোগ উপশমকারী একজন দয়ালু ও উদারহৃদয় চিকিৎসক হিসেবেই তিনি স্মরণীয় হয়ে থাকবেন । পদ্ম পুরস্কার প্রদান অনুষ্ঠানের সময় তাঁর সঙ্গে মতবিনিময়ের কথা আমার আজও মনে আছে ।তাঁর প্রয়াণে আমি ব্যথিত। pic.twitter.com/l0mf3ded8b
— Narendra Modi (@narendramodi) July 26, 2022
Dr. Sushovan Bandyopadhyay epitomised the best of human spirit. He will be remembered as a kind and large hearted person who cured many people. I recall my interaction with him at the Padma Awards ceremony. Pained by his demise. Condolences to his family and admirers. Om Shanti. pic.twitter.com/Ms73RrYdfa
— Narendra Modi (@narendramodi) July 26, 2022
पंश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के एक रुपए लेकर चिकित्सा करने वाले पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सुशोवन बनर्जी नहीं रहे। उनका कोलकाता के एक निजी अस्पताल में मंगल को निधन हो गया, वे 83 वर्ष के थे। गरीबों के मसीहा के नाम से पहचाने जाने वाले डॉक्टर की निधन की खबर सुनते ही जिले भर में मातम छा गया।
Sad to know of the demise of benevolent doctor Sushovan Bandyopadhyay. The famed one-rupee-doctor of Birbhum was known for his public-spirited philanthropy, and I express my sincerest condolences.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) July 26, 2022
कोरोना काल में भी वे गरीबों और असहाय लोगों की लगातार सेवा करते रहे। वे कभी थके नहीं। कभी हारे नहीं। लेकिन आज वे भगवान के सामने हार गए और चिरनिद्रा में सो गए।
डॉ. सुशोवन बनर्जी का जन्म 30 सितंबर 1939 को हुआ था। खुद डॉक्टर बनने के बाद 57 साल तक बोलपुर के हरगौरीतला में सिर्फ एक रुपये में मरीजों को देखा करते थे। वे हर दिन औसतन 150 मरीजों को देखा करते थे। सिर्फ एक रुपये फीस के नाम पर लेते थे वह भी नहीं रहने पर वह निशुल्क ही मरीज को देखते और उनका इलाज करते थे।

उनकी अनवरत सेवा भाव को देखते हुए सरकार ने 2020 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से विभूषित किया था। उन्होंने कभी नहीं देखा कि समय क्या है और कितना बज रहा है। कोराना काल हो या सामान्य काल, सदा लोगों की सेवा करते रहे।
बताया जा रहा है कि पद्मश्री से सम्मानित सुशोवन बनर्जी पिछले कुछ महीनों से किडनी की समस्या से जूझ रहे थे। कुछ दिन पहले उन्हें कोलकाता में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां मंगलवार सुबह करीब 11:30 बजे उनका निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे। सुशोवन बनर्जी के करीबी सूत्र के मुताबिक, उन्हें मंगलवार दोपहर बोलपुर लाया जाएगा।
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