उत्तराखंड के 75 जवानों ने कारगिल युद्ध में दी थी शहादत, इन जवानों की बहादुरी की गाथा सुनकर हर हिंदुस्तानी को होगा गर्व

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हल्द्वानी, अमृत विचार। शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले, वतन पर मरनेवालों का यही बाकी निशां होगा… साल 1999 में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अपनी जान की बाजी लगाने वाले वीर शहीद जवानों के स्मृति और सम्मान में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। 23 साल पहले पाकिस्तानी सेना ने अपने नापाक मंसूबों …

हल्द्वानी, अमृत विचार। शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले, वतन पर मरनेवालों का यही बाकी निशां होगा… साल 1999 में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ अपनी जान की बाजी लगाने वाले वीर शहीद जवानों के स्मृति और सम्मान में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। 23 साल पहले पाकिस्तानी सेना ने अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने की हिमाकत की थी।

कारगिल युद्ध में फतह करने के बाद तिरंगा फहराते भारतीय सेना के जांबाज। (फाइल फोटो)

जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में पाक सेना के जवान और जिहादी घुस आए थे। भारतीय सेना ने उन्हें वापस खदेड़ते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया था। करीब 60 दिन चले युद्ध में भारत के 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जबकि पाकिस्तान के तीन हजार से ज्यादा जवानों को मौत की घाट उतारा था। 26 जुलाई को युद्ध खत्म हुआ इसलिए इसी दिन को विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 1999 के कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के दांत खट्टे कर दिए थे। इस दौरान देवभूमि उत्तराखंड के 75 जवान शहीद हुए थे।

शहीद मेजर राजेश सिंह अधिकारी।

मेजर राजेश सिंह अधिकारी की वीरता को हर हिंदुस्तानी का सलाम

18 ग्रिनेडियर के मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने अपनी कंपनी के साथ टोलोलिंग चोटी पर 30 मई को चढ़ाई शुरू की। 15 हजार फुट की ऊंचाई पर भारी बर्फ के बीच दुश्मन ने मशीन गन से उन पर हमला किया। गंभीर रूप से घायल होने पर भी मेजर अधिकारी ने दो बंकर ध्वस्त कर प्वाइंट 4590 पर कब्जा किया। मेजर अधिकारी के इस वीरता और बलिदान के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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शहीद मेजर विवेक गुप्ता।

मेजर विवेक ने गोली लगने के बाद भी दुश्मनों को किया ढेर

कारगिल युद्ध के दौरान 2 राजपूताना राइफल्स के मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में 12 जून की रात टोलोलिंग चोटी फतह करने के लिए कंपनी रवाना हुई। ऊंचाई पर बैठे दुश्मन से लड़ना कठिन था। फिर भी मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में कंपनी आगे बढ़ती रही। इस दौरान मेजर गुप्ता को दो गोलियां लगीं। घायल होने के बावजूद उन्होंने ने तीन दुश्मनों को ढेर कर बंकर पर कब्जा कर लिया। मेजर गुप्ता को मरणोपरांत युद्ध के दूसरा सर्वश्रेष्ठ वीरता पदक महावीर चक्र से अलंकृत किया गया।

गढ़वाल राइफल्स के जवानों ने दर्जन भर दुश्मनों को मार गिराया

द्रास सेक्टर के प्वाइंट 4700 पर सर्वाधिक सैनिक शहीद हुए। दो राजपूताना राइफल्स और 18 गढ़वाल राइफल्स के रणबाकुरों ने 30 जून की रात चोटी पर हमला बोला। 18 गढ़वाल के नायक कश्मीर सिंह, राइफलमैन अनसूया प्रसाद और कुलदीप सिंह दल का हिस्सा थे। तीनों वीरों ने घायल होने के बावजूद दर्जन भर दुश्मनों को ढेर कर दिया। तीनों जवानों को मरणोपरात वीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस युद्ध में राइफलमैन देवेंद्र प्रसाद को सेना मेडल मिला।

पैरा कमांडो बृजमोहन सिंह ने पांच दुश्मन किए ढेर

स्पेशल फोर्सेज 9 पैरा के नायक बृजमोहन सिंह की अगुआई में चार्ली टीम ने कारगिल के मशकोह सब सेक्टर में एक जुलाई को हमला बोला। शानदार पर्वतारोही नायक बृजमोहन सिंह ने ऊंचे बंकर पर चढ़ाई कर दो दुश्मनों को मार गिराया। इन्हें मरणोपरांत वीरता चक्र से सम्मानित किया गया।

हल्द्वानी में शहीद स्मारक स्थल पर शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देतीं वीर नारियां।

इन जवानों को मिला मेडल

महावीरचक्र विजेता – मेजर विवेक गुप्ता, मेजर राजेश अधिकारी।
वीरचक्र विजेता- कश्मीर सिंह, बृजमोहन सिंह, अनुसूया प्रसाद, कुलदीप सिंह, एके सिन्हा, खुशीमन गुरुंग, शशि भूषण घिल्डियाल, रुपेश प्रधान व राजेश शाह।
सेना मेडल विजेता- मोहन सिंह, टीबी क्षेत्री, हरि बहादुर, नरपाल सिंह, देवेंद्र प्रसाद, जगत सिंह, सुरमान सिंह, डबल सिंह, चंदन सिंह, मोहन सिंह, किशन सिंह, शिव सिंह, सुरेंद्र सिंह व संजय।
मेन्स इन डिस्पैच- राम सिंह, हरि सिंह थापा, देवेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, मान सिंह, मंगत सिंह, बलवंत सिंह, अमित डबराल, प्रवीण कश्यप, अर्जुन सेन, अनिल कुमार।

कारगिल दिवस पर हल्द्वानी के शहीद स्मारक स्थल पर शहीदों की देते सेना के जवान।

कारगिल युद्व में देवभूमि के वीरों ने दी शहादत

कारगिल युद्व में देहरादून के 28, पौड़ी के 13, टिहरी के 08, नैनीताल के 05, चमोली के पांच, अल्मोड़ा के चार, पिथौरागढ़ के चार, रुद्रप्रयाग के तीन, बागेश्वर के दो, उधमसिंह नगर के दो, उत्तरकाशी के एक वीर जवान ने शहादत दी।

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