कांवड़ यात्रा 2022: बग्घी में बैठकर माता-पिता को कांवड़ यात्रा पर निकले कलयुग के श्रवण कुमार

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आगरा। आज के इस युग में जहां कुछ लोग मां-बाप बोझ समझते हैं और उन्हें परेशन करते है तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हम कलयुग के श्रवण कुमार भी कह सकते है। दरसअल कांवड़ यात्र 2022 में कुछ लोगों की ऐसी तस्वीरें निकलकर सामने आईं हैं जिसे देखकर हर कोई तारीफ कर …

आगरा। आज के इस युग में जहां कुछ लोग मां-बाप बोझ समझते हैं और उन्हें परेशन करते है तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हम कलयुग के श्रवण कुमार भी कह सकते है। दरसअल कांवड़ यात्र 2022 में कुछ लोगों की ऐसी तस्वीरें निकलकर सामने आईं हैं जिसे देखकर हर कोई तारीफ कर रहा है और कलयुग का श्रवण कुमार बता रहा है।

एक ऐसे ही तस्वीर यूपी के आगरा जिले सामने आई है जहां एक सजी हुई बग्घी और उसमें रखी कांवड़ व उस पर बैठे बुजुर्ग दंपती को बारी-बारी खींच रहे चार युवक जो बुजर्ग दंपती के बेटे है। इन्हें जो कोई देखकर रहा है वह यहीं कह रहा है कि ये कलयुग के श्रवण कुमार है। बता दें कि सावन में आस्था के अद्भुत नजारे हैं जो कांवड़ यात्रा के रूप में देखने को मिल रहे हैं।

दरसअल फिरोजाबाद जिले के गांव गुदाऊ के रहने वाले श्यामबिहारी लाल यादव (75) और उनकी पत्नी कुबजा देवी (70) धन्य हैं। जो उन्हें व्यस्तता के इस दौर में ऐसी संतान मिली कि उनके लिए श्रवण कुमार बन गई। माता-पिता ने इच्छा व्यक्त की कि वे कांवड़ यात्रा करेंगे, लेकिन यह उम्र का तकाजा है कि वे कांवड़ लेकर सोरों गंगा घाट से फिरोजाबाद का सफर तय नहीं कर सकते।

लेकिन माता-पिता की इच्छा पूर्ति के लिए उनके चार बेटे मनोज, सुदामा, केपी सिंह व पुष्पेंद्र आगे आ गए और उन्होंने विशेष तौर पर 20 हजार रुपये खर्च कर एक बग्घी बनवाई, जिसमें अपने माता-पिता को बैठाया। शुक्रवार की रात यह लोग बग्घी लेकर कछला गंगा घाट पहुंच गए, जहां से तड़के फिरोजाबाद के लिए बग्गी लेकर रवाना हुए। इस बग्घी को एक-एक बेटा कांधा देकर खींचता है, शेष बग्घी के साथ चलते हैं। माता-पिता बग्घी में बैठकर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं।

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