मुरादाबाद : बरतें सतर्कता! साइबर ठगों की तिजोरी भर रही खाताधारकों की नादानी
मुरादाबाद,अमृत विचार। खाताधारकों की नादानी साइबर ठगों की तिजोरी भरने की वजह बन रही है। शातिर साइबर ठगों के निशाने पर वह हाईप्रोफाइल खाताधारक हैं, जो न सिर्फ शिक्षित, बल्कि बड़े व रसूखदार पद पर आसीन हैं। समाज के ऐसे जिम्मेदार लोग जब ठगों का निशाना आसानी से बन रहे हैं तो अशिक्षित अथवा कम …
मुरादाबाद,अमृत विचार। खाताधारकों की नादानी साइबर ठगों की तिजोरी भरने की वजह बन रही है। शातिर साइबर ठगों के निशाने पर वह हाईप्रोफाइल खाताधारक हैं, जो न सिर्फ शिक्षित, बल्कि बड़े व रसूखदार पद पर आसीन हैं। समाज के ऐसे जिम्मेदार लोग जब ठगों का निशाना आसानी से बन रहे हैं तो अशिक्षित अथवा कम पढ़े लिखे खाताधारकों को साइबर अपराध के प्रति जागरूक करना काफी कठिन है।
साइबर अपराध के बढ़ते ग्राफ से चिंतत सरकार ने सूबे के सभी परिक्षेत्र में साइबर थाने की स्थापना की है। साइबर ठगी के मामले रोकने के लिए थाने में तैनात स्टाफ लगातार जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं। साथ ही जिले स्तर पर पुलिस टीमें आम लोगों के बीच जागकर साइबर ठगी व इससे बचने के उपाय लोगों को बता रही हैं। पुलिस के इन प्रयासों के बाद भी ठगी की घटनाएं थम नहीं रहीं।
सिविल लाइंस थाने में रहने वाले व एटा में तैनात पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने तहरीर देकर बताया कि विद्युत बिल भुगतान के नाम पर उनसे 63 हजार रुपये की ठगी की गई। जिस इंस्पेक्टर साहब के कंधे पर आम लोगों को साइबर ठगी से बचाने का भार है, वह खुद ही ठगाों का शिकार बन गए। ऐसी चूक करने वाले इंस्पेक्टर साहब अकेले नहीं हैं। ठगी के शिकार होने वालों में इंजीनियर, सेल टैक्स अफसर, डॉक्टर, व्यापारी, शिक्षक, सरकारी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी, पुलिस कर्मी, रिटायर कर्मचारी, वकील, प्रशासनिक अधिकारी व नेता शामिल हैं। साइबर थाने के दावों पर गौर करें तो ठगी के शिकार 80 प्रतिशत पीड़ित पढ़े लिखे हैं। महज 20 प्रतिशत पीड़ित ही अशिक्षित अथवा कम पढ़े लिखे हैं।
साइबर थाने को मिले क्षेत्राधिकारी
ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए मुरादाबाद में वर्ष 2020 में साइबर थाने की स्थापना की गई। साइबर थाने के कंधे पर मुरादाबाद परिक्षेत्र में एक लाख अथवा इससे अधिक की साइबर ठगी की घटनाओं की विवेचना का भार है। दो वर्ष बाद साइबर थाने में पहली बार सीओ की तैनाती बीते 28 जून को की गई।
शिकारी ही हो रहे ठगी का शिकार
साइबर ठगों के जाल में फंसने वालों में सिर्फ सरकारी अफसर व कर्मचारी ही नहीं बल्कि वह पुलिस भी है, जिसके कंधे पर साइबर अपराध को खत्म करने का भेजने का भार है। मुरादाबाद में साइबर ठगी का शिकार होने वाले पुलिस अफसर व कर्मियों की भारी तादाद है। पूर्व में तैनात रहे एक वरिष्ठ आईपीएस अफसर भी साइबर ठगी का शिकार बने। तब वह खुद साइबर ठगी से बचने के लिए किताब लिख रहे थे। यानि कि साइबर ठगों ने उस अफसर को ही चूना लगा दिया, जो उन पर नकेल कसने के लिए जाल बुन रहा था। मामला सिविल लाइंस थाने तक पहुंचा। मुकदमा दर्ज भी हआ। आज तक ठगों का पता नहीं लगा। इसके अलावा इस वक्त भी मुरादाबाद में तैनात एक महिला सीओ की फेसबुक आइडी हैक कर ठगों ने उनके फ्रेंड से ही धनउगाही की दो बार कोशिश की। ठगों की नजरें सोशल मीडिया पर ऐसे पुलिस अफसरों के नाम की तलाश करती हैं, जो प्रभावशाली पद पर तैनात अथवा कार्यरत हैं।
कैसे रोकें साइबर ठगी
निदेशक तथ्य फोरेंसिक (दिल्ली) संजय मिश्र का कहना है कि कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने से पहले साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हैकर्स ऑनलाइन ठगी करते हैं। सोशल नेटवर्क का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करना होगा। ऑनलाइन लेन-देन के वक्त सतर्क व सावधान रहें। साइबर अपराध नियंत्रित करने के लिए जागरूक, सतर्क व सावधान रहें। निजी जानकारी साझा न करें। बैंकिंग पासवर्ड, एटीएम या फोन बैंकिंग पिन, कार्ड का सीवीवी नंबर, समाप्ति तिथि किसी से शेयर न करें। साइबर अपराध होते ही तत्काल हेल्पलाइन नंबर एवं साइबर अपराध सेल की मदद लें। लोगों को फेसबुक,वॉट्सएप और ईमेल से आने वाले अनचाहे लिंक्स पर क्लिक न करें। पुलिस प्रशासन व बैंककर्मियों को गांव, कस्बे व शहरों में जनसभाएं व जागरूकता चौपाल का आयोजन करना होगा। मोबाइल पर आने वाले भ्रामक फोन कॉल व संदेश के बारे में आम लोगों को सतर्क करना होगा।
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