प्रयागराज: आजम खान केस में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब, 22 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
प्रयागराज। सुप्रीम कोर्ट की ओर से सपा नेता आजम खान को अवमानना की याचिका दाखिल करने की इजाजत दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 19 जुलाई तक का वक्त दिया है। मामला आजम खान की जमानत से जुड़ी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शर्त पर उच्चतम न्यायालय की रोक से जुड़ा है। समाजवादी …
प्रयागराज। सुप्रीम कोर्ट की ओर से सपा नेता आजम खान को अवमानना की याचिका दाखिल करने की इजाजत दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 19 जुलाई तक का वक्त दिया है। मामला आजम खान की जमानत से जुड़ी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शर्त पर उच्चतम न्यायालय की रोक से जुड़ा है।
समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान की जमानत से जुड़ी शर्त पर रोक के अपने आदेश के अनुपालन पर उत्तर प्रदेश सरकार से गुरुवार को जवाब मांगा। उच्चतम न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान की जमानत से जुड़ी शर्त पर रोक के अपने आदेश के अनुपालन पर उत्तर प्रदेश सरकार से बृहस्पतिवार को जवाब मांगा है।
आजम खान ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उक्त शर्त उनके जौहर विश्वविद्यालय के एक हिस्से को ढहाने से संबंधित है, जिसे कथित तौर पर शत्रु संपत्ति पर कब्जा करके बनाया गया था। जमानत संबंधी शर्त में इस भूमि को कुर्क करने के आदेश दिए गए थे।
मामले को लेकर खान ने आरोप लगाया है कि स्थगन आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने जौहर विश्वविद्यालय परिसर से कांटेदार तार के बाड़ नहीं हटाए, जिससे उसके संचालन में परेशानियां आ रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा सवाल
वकील कपिल सिब्बल ने कहा वह मामले में कोर्ट की अवमानना की याचिका दाखिल करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए। उसने पूछा कि क्या प्रशासन को कोर्ट के आदेश के बारे में जानकारी नहीं थी। यूपी सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि उनको जानकारी थी। वह मामले में हफलनामा दाखिल करेंगे. यह मामला आजम खान की जमानत से जुड़ी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शर्त पर उच्चतम न्यायालय की रोक से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की एक पीठ ने कहा कि राज्य सरकार 19 जुलाई तक मामले पर अपना रुख स्पष्ट करे। इसके बाद पीठ ने याचिका को 22 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
इसके साथ ही पीठ ने रामपुर के जिलाधिकारी को विश्वविद्यालय से जुड़ी भूमि पर कब्जा करने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों पर रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत की अवकाशकालीन पीठ ने 27 मई को कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई जमानत संबंधी शर्त प्रथम दृष्टया असंगत और दीवानी अदालत की ‘डिक्री’की तरह लगती है।
