मुरादाबाद : बीरबल की खिचड़ी बनी नगर निगम बोर्ड की बैठक, पार्षदों ने महापौर पर मनमानी करने का लगाया आरोप
मुरादाबाद,अमृत विचार। नगर निगम बोर्ड की बैठक बीरबल की खिचड़ी बन गई है। वर्तमान कार्यकाल के संभावित आखिरी बोर्ड बैठक को कराने में ना-नुकुर जारी है। 15 दिनों में बोर्ड की बैठक दो बार टालने के बाद से अब नई तारीख नहीं दी गई है। बैठक टलने से विपक्षी के साथ खुद भाजपा के पार्षद …
मुरादाबाद,अमृत विचार। नगर निगम बोर्ड की बैठक बीरबल की खिचड़ी बन गई है। वर्तमान कार्यकाल के संभावित आखिरी बोर्ड बैठक को कराने में ना-नुकुर जारी है। 15 दिनों में बोर्ड की बैठक दो बार टालने के बाद से अब नई तारीख नहीं दी गई है। बैठक टलने से विपक्षी के साथ खुद भाजपा के पार्षद भी अपने वार्ड के विकास कार्यों को लेकर चिंतित हैं।
बोर्ड की बैठक के लिए पहले 20 जून तय किया गया। लेकिन, दो दिन पहले इसे टाल दिया गया। जून के आखिरी दिनों में अगली तारीख पांच जुलाई तय कर पार्षदों को फिर आमंत्रण पत्र बांट दिया गया। लेकिन, चार जुलाई की दोपहर में अचानक महापौर ने बैठक को फिर टालने की घोषणा करा दी। जो कांग्रेस, सपा के पार्षदों के साथ भाजपा के पार्षदों को भी नागवार लगा, क्योंकि पार्षदों को चिंता सता रही है कि नवंबर-दिसंबर में निगम के नए चुनाव कराए जाएंगे। ऐसे में अब चार से पांच महीने का वक्त बचा है।
कई पार्षदों को यह भी डर सता रहा है कि वार्ड में सड़क, नाली, सफाई की बदहाली दूर कराने के लिए कार्यों को बैठक में पारित कराकर यदि काम पूरा नहीं कराया तो जनता अगले चुनाव में उनका बोरिया-बिस्तर बांधने से नहीं चूकेगी। कांग्रेस पार्षद दल के नेता कमर सलीम कहते हैं कि 20 जून की बैठक रामपुर उप चुनाव का बहाना बनाकर टाला गया था और पांच जुलाई का मनमर्जी से टाल दिया गया। भाजपा के पार्षद गौरव श्रीवास्तव भी बैठक टलने से निराश हैं। कांग्रेस पार्षद अनुभव मेहरोत्रा, वार्ड 56 के कांग्रेस पार्षद शमशेर अली का कहना है कि महापौर और निगम के अधिकारी झूठ के ढेर पर खड़े होकर कार्य और राजनीति कर रहे हैं। यह लोग नहीं चाहते कि शहर की जनता का भला हो। इसलिए बोर्ड बैठक से कतरा रहे हैं। महापौर विनोद अग्रवाल कहते हैं कि किसी कारणवश दो बार बैठक टालनी पड़ी थी। अब 20 जुलाई को बोर्ड बैठक कराने की तारीख रखी है।
बजट का अनुमोदन भी है लटका
बैठक के बार बार टलने से वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में स्वीकृत किए गए वित्तीय वर्ष 2022-23 के 417.39 करोड़ के मूल बजट (आय व्ययक) की मंजूरी भी लटकी है। जिससे विकास कार्यों के लिए धनराशि मिलने पर संकट गहरा रहा है। हालांकि बजट में कई मुद्दों पर भाजपा पार्षदों ने ही आपत्ति जताकर महापौर और निगम के अधिकारियों को बेचैन कर दिया था। भाजपा के पार्षद विद्या शरण शर्मा, संजय सक्सेना आदि ने वाहन व्यय बढ़ाकर 30 से 45 लाख रुपये करने, पेट्रोल डीजल पर व्यय का बजट सात करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ करने पर सवाल खड़ा किया था।
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