श्रीप्रकाश शुक्ला के अंदाज में मूसेवाला पर शूटरों ने कर दी थी मैग्जीन खाली…जानें पूरा मामला
तत्कालीन स्पेशल टास्क फोर्स के अफसर रहे राजेश पांडे ने बताया यूपी, बिहार समेत दिल्ली तक थी माफिया के नाम की दहशत मूसेवाला की हत्या में एके-47 की पूरी मैगजीन खाली कर 90 के दशक यूपी के अपराध की यादें हुई ताजा लखनऊ । नब्बे के दशक में जरायम की दुनिया में अपनी बादशाहत कायम …
- तत्कालीन स्पेशल टास्क फोर्स के अफसर रहे राजेश पांडे ने बताया यूपी, बिहार समेत दिल्ली तक थी माफिया के नाम की दहशत
- मूसेवाला की हत्या में एके-47 की पूरी मैगजीन खाली कर 90 के दशक यूपी के अपराध की यादें हुई ताजा
लखनऊ । नब्बे के दशक में जरायम की दुनिया में अपनी बादशाहत कायम करने वाला गोरखपुर, ममखोर के माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला की पहचान किसी से छिपी नहीं हैं। यूपी पुलिस के सहयोग से स्पेशल टास्क फोर्स ने उसका खात्मा कर अपनी पीठ थपथपाई थी, लेकिन पंजाबी सिंगर शुभदीप सिंह उर्फ सिद्धु मूसेवाला हत्याकांड ने 90 के दशक में यूपी के अपराध जगत की यादें ताजा कर दी हैं।
असल में यूपी के माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के गोली चलाने के अंदाज में मूसेवाला की हत्या की गई। इस वारदात में शूटरों ने एके-47 की पूरी मैगजीन खाली कर मूसेवाला को मौत की नींद सुला दिया था। हालांकि, इस घटना ने 90 के दशक यूपी के अपराध जगत की उकेर कर रख दिया। जहां पहली बार कुख्यात अपराधियों ने हत्याओं के लिए एके-47 का इस्तेमाल कर और यूपी, बिहार समेत दिल्ली में माफिया राज की दहशत कायम की और अपने नाम का सिक्का बुलंद किया था। यूपी पुलिस की ओर से इन अपराधियों के लिए स्पेशल ऑपरेशन के किए थे। इसके तहत 04 मई 1998 को यूपी स्पेशल टास्क फोर्स यानि एसटीएफ का गठन किया गया था।
मैगजीन खाली कर उतारा मौत के घाट
गौरतलब है कि 29 मई 2022 को मानसा गांव में पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या की गई थी। बता दें, शूटरों ने उनकी थार गाड़ी को घेर कर एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग की थी। उस वक्त प्रत्यक्षदर्क्षियों ने बताया था कि करीब 10 मिनट तक लगातार फायरिंग होती रही। शूटरों ने सिद्धु मूसेवाला को सरेराह गोलियों से छलनी कर दिया था। अंधाधुंध फायरिंग में सिद्धु मूसेवाला ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर पता चला कि शूटरों ने पूरी मैगजीन मूसेवाला के शरीर में उतार दी थी। उसके शरीर में 25 गोलियों के निशान मिले थे। जिनमें से चार बुलेट मूसेवाला के शरीर में बरामद हुई थी। जबकि 21 राउंड शरीर को छलनी कर आरपार हो गईं थी। इस वारदात से यह बात स्पष्ट होती है कि शूटर मूसेवाला की हत्या करना चाहते थे बल्कि इस हत्याकांड से लोगों के जेहन में दशहत फैलाना चाहते थे। यही वजह है कि शूटरों ने पूरी मैगजीन खाली कर मूसेवाला की सरेराह हत्या कर दी।
किस्सागोई में किया है पूरा ज्रिक
तत्कालीन स्पेशल टास्क फोर्स के अधिकारी और सेवानिवृत्त चुनाव आईजी सेल राजेश पांडे ने 23 सितम्बर 1998 नोएडा-गाजियाबाद बार्डर पर श्रीप्रकाश शुक्ला को एनकांउटर में ढेर कर एक बड़ी सफलता हासिल की थी। इस बात कर ज्रिक उन्होंने अपनी वीडियो सीरिज किस्सागोई में भी किया है। उन्होंने बताया कि 90 के दशक में श्रीप्रकाश शुक्ला ने पुलिस डिपार्टमेंट की नाक में दम कर दिया था।
महज चार साल में उनसे अपने नाम का सिक्सा पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और दिल्ली तक बुंदल किया था। ये वो दौर था जब उत्तर प्रदेश में गैंगस्टरों और बाहुबलियों ने वर्चस्व की लड़ाई में एके-47 का इस्तेमाल करना शुरु किया था। बता दें कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे राज्यों में कई गिरोह पनपने लगे थे। सुपारी किलिंग, अपहरण, फिरौती, कब्जा, ठेकेदारी और तस्करी को लेकर इन गिरोहों में गैंगवार आम बात हुआ करती थी।
सीएम हत्या की ली थी सुपारी
उन्होंने बताया कि उस वक्त श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपनी दहशत कायम करने के लिए एके47 का इस्तेमाल किया था। वह गैंगवार या फिर विरोधियों की हत्या करते वक्त एके 47 और कारबाइन रायफल की पूरी मैग्जीन खाली कर देता था। साल 1993 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने बहन के साथ छेड़खानी करने वाले राकेश तिवारी की हत्या की थी। उसके बाद श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम पुलिस केस डायरी में दर्ज तो हो गया था, लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई थी।
असल में पुलिस से बचने के लिए वह बैंकॉक भाग गया था। साल 1997 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने लखनऊ के राजनेता वीरेंद्र शाही की एके-47 से हत्या कर दी थी। उसके बाद श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम सुर्खियों में आ गया था और उसे राजनेताओं का संरक्षण भी मिलने लगा था। बता दें कि साल 1998 में श्री प्रकाश शुक्ला ने उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ले ली थी।
यह बात सत्ता के गलियारों तक पहुंची तो आनन-फानन स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया और साल 23 सितम्बर 1998 को यूपी पुलिस के सहयोग से स्पेशल टास्क फोर्स ने गाजियाबाद बार्डर पर श्रीप्रकाश शुक्ला व उसके साथियों का एनकाउंटर कर राहत भरी सांस ली थी, लेकिन आज कुख्यात गैंगस्टर अपनी दहशत कायम करने के लिए 90 के दशक का तरीका इस्तेमाल कर रहे हैं। इस प्रत्यक्ष उदाहरण मूसेवाला हत्याकांड है। हालांकि, मूसेवाला हत्याकांड के पीछे गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का हाथ बताया जा रहा है।
मूसेवाला हत्याकांड में पश्चिमी यूपी बताया जा रहा कनेक्शन
बता दें कि मूसेवाला हत्याकांड को अंजाम देने के लिए हथियारों की सप्लाई पश्चिम यूपी के मुजफ्फरनगर की गई थी। उस वक्त उन्हीं हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि स्पेशल टास्क फोर्स के अलावा पंजाब पुलिस इस हत्याकांड में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरनगर का नाम जोड़ कर लॉरेंस विश्नोई गैंग से जुड़े होने वाले संभावित अपराधियों की कुंडली खंगाल रही है।
