बरेली: विकास के पथ पर सुरक्षित फर्राटा भरने की राह ताक रहे किला और हार्टमैन पुल

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हरदीप सिंह ‘टोनी’ बरेली, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में विकास के पहिये की रफ्तार इतनी तेज है कि ताबड़तोड़ एक्सप्रेस-वे का जाल बिछ रहा है। आगामी 16 जुलाई को खुद पीएम मोदी विकास के पथ से अब तक अछूते बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की सौगात यूपी वासियों को देंगे। लेकिन, अतीत के पन्नों में दर्ज कई ऐतिहासिक …

हरदीप सिंह ‘टोनी’
बरेली, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में विकास के पहिये की रफ्तार इतनी तेज है कि ताबड़तोड़ एक्सप्रेस-वे का जाल बिछ रहा है। आगामी 16 जुलाई को खुद पीएम मोदी विकास के पथ से अब तक अछूते बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की सौगात यूपी वासियों को देंगे। लेकिन, अतीत के पन्नों में दर्ज कई ऐतिहासिक धरोहरों और स्मृतियों को समेटे 9 विधानसभा क्षेत्र वाले यूपी के बरेली जनपद में विकास का पहिया जगह-जगह पंक्चर और इंसान घायल हो जाता है।

इसकी बानगी बरेली शहर के करीब 42 साल पुराने किला पुल और तकरीबन 12 साल पुराने हार्टमैन पुल में देखने को मिलती है। कहते हैं, क्षितिज के दोनों ध्रुवों को जोड़ने का काम पुल ही करते हैं। दो रास्तों को मिलाने का काम भी ये पुल ही करते हैं। सफ़र सुगम और मंजिल आसान बनाते हैं ये पुल। लेकिन, बरेली शहर के सबसे महत्वपूर्ण इन दोनों पुलों पर सफ़र करना मानों जान हथेली पर लेकर जलते अंगारों से गुजरना हो।

बात अगर किला पुल की करें, तो यहां पुल की साइड वॉल पर दोनों तरफ बेहतरीन पेंटिंग बनाकर इसे स्वच्छ और सुन्दर दिखाने का प्रयास तो जिला प्रशासन ने बखूबी किया और इस तरह अपने काम की इतिश्री कर ली। लेकिन, यहां मरम्मत के नाम पर सभी की आंखें बंद और मुंह मौन हैं। जिले के कई आलाधिकारी से लेकर आम जनता रोजाना यहां से सफ़र करते  हैं और यहां की दुर्दशा को भी देखते हैं। पुल के दोनों तरफ यहां पीपल और पाकड़ जैसे बड़े-बड़े पेड़ बरसात में उग गए हैं। जो लगातार दुर्घटना का सबब बन रहे हैं और दीवारों को खोखला कर पुल को कमजोर बना रहे हैं। जो कभी भी किसी बड़े हादसे का सबब बन सकता है। इस पुल का निर्माण साल 1977 में हुआ था और दिल्ली से लखनऊ गुजरने के लिए लोग इसी पुल का सहारा लेते हैं। लेकिन इस पुल को अब बेसब्री से मरम्मत की दरकार है।

वहीं, हार्टमैन ओवरब्रिज की स्थिति भी दयनीय है। शहर में हार्टमैन ओवरब्रिज की छत का निर्माण सीमेंट, कंक्रीट (सीसी) से हुआ है। इस पुल पर कई जगह से छत की परत उखड़ने लगी है। आए दिन यहां जानलेवा हादसे होते रहते हैं। जगह-जगह पुल के छत की परतें उखड़ने की वजह से पुल निर्माण में इस्तेमाल की गईं सरिया भी बाहर निकल आई हैं, जिसमें फंसकर लोग अक्सर घायल हो जाते हैं और गाड़ियाँ भी पंक्चर हो जाती हैं। इतना ही नहीं, इस पुल से सैंकड़ों बच्चे स्कूल जाने को निकलते हैं।

ऐसा नहीं है कि इन दोनों पुलों की दुर्दशा की सूचना शासन-प्रशासन को नहीं दी गई, लेकिन अब तक ये दोनों पुल अपनी मरम्मत को तरस रहे हैं और विकास के पथ पर सुरक्षित फर्राटा भरने की राह ताक रहे हैं।

 

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