मुरादाबाद : रामगंगा का बढ़ा जलस्तर, बाढ़ में बहा लकड़ी का पुल
मुरादाबाद,अमृत विचार। मानसून की पहली बारिश ने रामगंगा नदी में असर दिखाना शुरू कर दिया। पानी के दबाव से नदी पर बना लकड़ी का अस्थाई पुल टूट गया, जिसके बाद नदी पार जाने वालों को नाव का सहारा लेना पड़ा। शहर की जिगर कालोनी क्षेत्र में नदी पर लकड़ी का पुल खेती किसानी करने वालों …
मुरादाबाद,अमृत विचार। मानसून की पहली बारिश ने रामगंगा नदी में असर दिखाना शुरू कर दिया। पानी के दबाव से नदी पर बना लकड़ी का अस्थाई पुल टूट गया, जिसके बाद नदी पार जाने वालों को नाव का सहारा लेना पड़ा। शहर की जिगर कालोनी क्षेत्र में नदी पर लकड़ी का पुल खेती किसानी करने वालों के साथ साथ देहात से शहर आने वाले मजदूरों का सहारा है।
यह पुल प्रशासन और विभाग की निगरानी पर सवाल तो है। लेकिन, हर दिन भारी संख्या में लोग नदी के पार जाते हैं और वापस भी आते हैं। उधर, अगवानपुर उपनगर के नजदीक भी इसी तरह का पुल बना है जो सुविधा के साथ लोगों से दबंगों और ठेकेदारों की वसूली का बड़ा जरिया है। वैसे प्रशासन क्षेत्र में ऐसे किसी भी पुल को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। जिगर कालोनी क्षेत्र में पुल के दो हिस्से में बंटने के बाद आसपास के लोगों में खलबली मच गई। मोहल्ले के लोगों ने पुल कई हिस्सों में बांटने की जानकारी पुलिस और स्थानीय प्रशासन को दी। लेकिन, किसी ने उधर झांकने की कोशिश नहीं की।

बताते हैं कि कल देर रात से नदी तट पर पानी का दबाव देखा जा रहा है। आसपास के लोग इससे परेशान नजर आ रहे हैं। हालांकि अभी बरसात की शुरुआत मात्र हुई है। पहली बारिश को वैसे तो सिंचाई विभाग का कंट्रोल रूम आंशिक मानता है। विभाग का कहना है कि शहरी क्षेत्र में रामगंगा नदी के खतरा का निशान 190.60 मीटर है। जबकि मानसून की पहली बरसात के दौरान नदी का जलस्तर 187.94 दर्ज किया गया जो खतरे के निशान से करीब तीन मीटर नीचे है। उधर, अस्थाई पुल टूटने के बाद सैकड़ों की तादात में लोग परेशान नजर आए। इसके बाद मछुआरों ने नाव के सहारे उन्हें शहर से उस पार पहुंचाया। आलियाबाद क्षेत्र से भारी संख्या में किसान और महिलाएं नाव के सहारे शहर की ओर आईं। आपदा प्रबंधन टीम के विनोद मिश्र का कहना है कि बाढ़ के मद्देनजर टीम अलर्ट है। सभी चौकियां सक्रिय कर दी गयी हैं। अभी रामगंगा में पानी बहुत कम है।

नाला सफाई की खुली पोल, अब जल निकासी के इंतजाम की होगी परख
शहर में बरसात के पहले दिन हुए जलभराव ने नाला सफाई की पोल खोल दी। अब जल निकासी के इंतजाम की परख होनी है। हालांकि नगर निगम के जिम्मेदार सफाई की तरह ही जल निकासी के बेहतर इंतजाम का दम भर रहे हैं, लेकिन फिर बारिश होने पर इसकी भी हकीकत सामने आ ही जाएगी। गुरुवार को हुई थोड़ी बारिश में ही शहर में कई जगह नाली का पानी सड़क पर आ गया तो निचले इलाके में बारिश का पानी कई घंटे तक भरा रहा, जिसके बीच में होकर लोगों को आवाजाही करनी पड़ी। गनीमत रही कि शुक्रवार को बारिश नहीं हुई। जिससे निगम प्रशासन को अपने इंतजामों को दुरुस्त करने का वक्त मिल गया है। निगम के अधिकारियों ने इसमें जल निकासी के इंतजामों को दुरुस्त करने की कोशिश भी की है, लेकिन कोशिश धरातल पर कामयाब होगी या नहीं बारिश होने पर ही पता चलेगा। नगर आयुक्त संजय चौहान ने बुद्धि विहार सहित कई क्षेत्र में जल निगम की ओर से बने पंपिंग स्टेशन पर पहुंचकर पानी निकासी के इंतजाम का निरीक्षण कर व्यवस्था को दुरुस्त रखने का निर्देश दिया। उनका कहना है कि काम तो जल निगम के अभियंताओं को करना और कराना है। बिजली न रहने पर जेनरेटर से जलनिकासी के लिए मशीन चलाने के लिए भी कहा है।
नदी में पानी बढ़ने से सताने लगा बाढ़ का डर
12 साल नदी के आसपास रहने वाले लोग अब भी बांध की उम्मीद लिए बैठे हैं। बारिश बाद रामगंगा में पानी बढ़ने से आसपास रहने वाले लोगों को बाढ़ का डर सताने लगा है। अब लोगों ने नदी किनारे बांध की मांग तेज कर दी है। पहाड़ी इलाकों के साथ मैदानी इलाकों में भी मानसून ने दस्तक दे दी है। मुरादाबाद में भी दो दिन देर रात से तड़के तक बारिश हो रही है। अससे रामगंगा का जलस्तर बढ़ने लगा है। कई सालों में देहात इलाकों में बाढ़ की स्थिति भी बन चुकी है। वहीं 2010 में रामगंगा आई बाढ़ ने शहर की पॉश कॉलोनी दीनदयाल नगर, नवीन नगर, रामगंगा विहार, आशियाना कॉलोनी व नदी किनारे बसे चक्कर की मिलक, नवाबपुरा, लालबाग, वारसी नगर, जामा मस्जिद व बरवालान को चपेट में लिया था। चक्कर की मिलक से लेकर बरवालान तक नदी किनारे बने सभी मकान अवैध हैं। कुछ दिन पहले प्रशासन ने कई मकानों को तोड़ा था। अब पानी बढ़ने से उन लोगों को बाढ़ का डर सताने लगा है।
मकान अवैध है तो बिजली और पानी का कनेक्शन कैसे मिला
लोगों का कहना है कि 12 साल से बांध बनवाने की मांग की जा रही है, लेकिन प्रशासन के अधिकारी हर साल कोई न कोई नया बहाना बनाकर आश्वासन दे देते हैं। चक्कर की मिलक में नदी किनारे रहने वाले अनीस अहमद ने बताया कि हमारे पास मकान का बैनामा भी है। लेकिन, कुछ दिन पहले सर्वे के लिए आई टीम ने कहा कि हमारा मकान अवैध है। अगर, हमारा मकान अवैध है तो बिजली विभाग ने बिजली का मीटर व पानी का कनेक्शन कहां से लग गया।
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