हल्द्वानी: न्याय मिलना तो दूर कमिश्नर कैंप कार्यालय का गेट तक नहीं खुला… मायूस लौटे सिस्टम के सताए लोग

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संजय पाठक, हल्द्वानी, अमृत विचार। इस देश में सत्ता बदलती है, व्यवस्था नहीं, चेहरे बदलते हैं, चरित्र नहीं, मुखौटे बदलते हैं, मन नहीं …. लोकतंत्र के नाम पर आम जनता को फरियादी बनाने वाले सरकारी सिस्टम की यही सच्चाई है। सोच कर देखिए चिलचिलाती धूप पारा 40 डिग्री के पार और हाथों में फरियाद लिए …

संजय पाठक, हल्द्वानी, अमृत विचार। इस देश में सत्ता बदलती है, व्यवस्था नहीं, चेहरे बदलते हैं, चरित्र नहीं, मुखौटे बदलते हैं, मन नहीं …. लोकतंत्र के नाम पर आम जनता को फरियादी बनाने वाले सरकारी सिस्टम की यही सच्चाई है। सोच कर देखिए चिलचिलाती धूप पारा 40 डिग्री के पार और हाथों में फरियाद लिए जब कोई दुखियारा किसी सरकारी अधिकारी के दफ्तर पहुंचे और वहां  उसकी फरियाद सुने बगैर उसे वापस लौटा दिया जाए तो उस पर क्या बीतती होगी।

कमिश्नर कैंप कार्यालय में खड़े सरकारी अधिकारियों के वाहन।

ऐसा ही नजारा आज कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के कैंप कार्यालय में देखने को मिला। महीने के हर शनिवार को कमिश्नर कैंप कार्यालय में जनता दरबार लगाने का दावा इस शनिवार झूठा साबित हो गया। यहां फरियादी पहुंचे जरुर लेकिन उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि आज कोई दरबार नहीं लगेगा। हालांकि इस दौरान कमिश्नर कैंप कार्यालय में सरकारी अधिकारियों का जमावड़ा लगा रहा। लेकिन फरियादियों की कोई सुध नहीं ली गई।

ऐसा ही कुछ व्यवहार हल्द्वानी से करीब 75 किलोमीटर दूर काशीपुर शहर से आए पीआरडी से जवानों के साथ भी हुआ। पीआरडी के जवान बड़ी आस लगाकर कमिश्नर के दफ्तर पहुंचे थे लेकिन उन्हें भी बैरंग लौटा दिया गया। पीआरडी के जवान चिलचिलाती धूप में कमिश्नर के कैंप कार्यालय गेट के बाहर गुहार लगाते रहे लेकिन सुनवाई तो दूर उनके लिए कमिश्नर कैंप कार्यालय का गेट तक नहीं खुला। इस दौरान कमिश्नर कैंप कार्यालय से अधिकारियों के वाहन जरुर गुजरते नजर आए। इसके बाद खुद को ठगा सा महसूस कर तमाम लोग बैरंग लौट गए।

चिलचिलाती धूप में जब कमिश्नर कैंप कार्यालय का गेट तक नहीं खुला तो अमृत विचार के कैमरे में अपनी पीड़ा बयां करते काशीपुर से आए पीआरडी जवान।

यह हालत तब हैं जब खुद कमिश्नर दीपक रावत ने महीने के हर शनिवार को कैंप कार्यालय में जनता की शिकायतों को सुनने के लिए जनता दरबार लगाने का ऐलान किया था, तब सेकेंड सैटरडे को अवकाश रहेगा जैसी कोई बात नहीं बताई गई थी। पीआरडी के जवानों से जब अमृत विचार की टीम ने बात की तो उनका दर्द झलक उठा।

पीआरडी के जवानों ने बताया कि काशीपुर ब्लॉक में पीआरडी ब्लॉक कमांडर सतपाल सिंह द्वारा आए दिन ड्यूटी लगवाने के नाम पर जवानों से पैसों की मांग की जाती है जिस कारण जवान मानसिक और आर्थिक परेशानी का सामना करने के मजबूर हैं। परेशान होकर 25 फरवरी 2022 को उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी के समक्ष शिकायत रखी जिस पर जिलाधिकारी ने जांच कमेटी बनाने के बात कहते हुए जांच के आदेश खंड विकास अधिकारी दे दिए। जिसके बाद जवानों द्वारा शपथपत्र भी दिए गए लेकिन उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद पीआरडी जवानों ने 31 मई 2022 को दोबारा जिलाधिकारी उधमसिंह नगर को पत्र देकर मामले से अ‍वगत कराया लेकिन आज दिन तक कोई जवाब या कार्रवाई नहीं हुई।

कमिश्नर दीपक रावत के नाम पीआरडी के जवानों का पत्र।

पीआरडी जवान संगीता भारती और सुरेंद्र सिंह ने कहा कि बड़ी उम्मीद लेकर कमिश्नर कैंप कार्यालय आए थे सुना था यहां हर शनिवार को जनता दरबार लगता है लेकिन सुनवाई तो दूर गेट तक नहीं खोला गया। अब निराश होकर घर लौट रहे हैं। पीआरडी कर्मचारियों ने बताया कि आने से पहले उन्होंने कमिश्नर कार्यालय में फोन किया था, उन्हें बताया गया था कि वह शनिवार को हल्द्वानी कार्यालय आ जाएं। इसी तरह सुबह से दोपहर तक कई फरियादी कमिश्नर के कैंप कार्यालय के गेट से वापस लौटा दिए गए। फरियादियों का कहना था कि मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले कमिश्नर कैंप कार्यालय से अगर समय रहते सुनवाई न होने की सूचना जारी हो जाती तो बेवजह फरियादियों को चक्कर काटने को मजबूर नहीं होना पड़ता। इस मौके पर पीआरडी जवान अजब सिंह, राजकुमार, अनिल कुमार, दिलीप सिंह, जयपाल सिंह आदि रहे।