बाराबंकी: केजीएमयू से निराश दम तोड़ते बच्चे को हिंद अस्पताल में मिला जीवनदान

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अमृत विचार/बाराबंकी। हिन्द अस्पताल में डॉक्टरों ने पाँच दिन की कड़ी मेहनत से दम तोड़़ते बच्चे को बचा लिया। रामपुर गोकुल लखीमपुर निवासी देशराज अपने 5 साल बेटे मयंक को बेहोशी की हालत में केजीएमयू लखनऊ ले जाते हैं। बच्चों वाली गहन चिकित्सा बेड यानी पीआईसीयू न मिलने से सफेदाबाद के हिन्द अस्पताल पहुँचते हैं। …

अमृत विचार/बाराबंकी। हिन्द अस्पताल में डॉक्टरों ने पाँच दिन की कड़ी मेहनत से दम तोड़़ते बच्चे को बचा लिया। रामपुर गोकुल लखीमपुर निवासी देशराज अपने 5 साल बेटे मयंक को बेहोशी की हालत में केजीएमयू लखनऊ ले जाते हैं। बच्चों वाली गहन चिकित्सा बेड यानी पीआईसीयू न मिलने से सफेदाबाद के हिन्द अस्पताल पहुँचते हैं।
दोनों हाथ पैर लकवा ग्रस्त थे।

कमजोरी इतनी कि हाथ- पैर का संचालन बन्द था। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जीके सिंह ने पीआईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू किया। जांचों से जीबी सिंड्रोम नाम की घातक बीमारी निकली। लगातार 5 दिन तक इम्यूनोग्लॉबिन देकर इलाज हुआ। तबियत में सुधार दिखने लगा। अब मरीज़ सामान्य वार्ड में आ गया है। पखवाड़ा भीतर मरीज को बिल्कुल स्वस्थ हो जाने की उम्मीद है।

डॉ. सिंह ने बताया कि यह हर लाख बच्चों में से एक को होने वाली बीमारी है,जो लगभग लाइलाज़ होती है। पैरों से शुरू होकर हाथों तक को लकवाग्रस्त कर देती है। इस बीमारी की सबसे बड़ी खामी यह है कि इसमें मरीज के श्वसनतंत्र तंत्र की मांसपेशियां प्रभावित हो जाती हैं। नतीजतन भलीभांति सांस न ले पाने से मरीज दम तोड़ देता है।

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