लखनऊ: बेटियों के साथ बेटों पर भी अत्याचार, बीते 6 साल में लावारिस मिले 64 नवजात
लखनऊ। नौ महीने बच्चे को गर्भ में रखा। जन्म देने के बाद अपने जिगर के टुकड़े को जानवरों का निवाला बनाने के लिए खुद से दूर कर दिया। ऐसी बेरहम ममता की कहानियां राजधानी में कई बार उजागर हुई हैं। बीते 6 साल में राजधानी के अलग-अलग स्थानों से चाइल्डलाइन टीम को 64 नवजात मिल …
लखनऊ। नौ महीने बच्चे को गर्भ में रखा। जन्म देने के बाद अपने जिगर के टुकड़े को जानवरों का निवाला बनाने के लिए खुद से दूर कर दिया। ऐसी बेरहम ममता की कहानियां राजधानी में कई बार उजागर हुई हैं। बीते 6 साल में राजधानी के अलग-अलग स्थानों से चाइल्डलाइन टीम को 64 नवजात मिल चुके हैं, इनमें 26 बेटे और 38 बेटियां है।
सिटी चाइल्डलाइन को मिले नवजात
साल बेटे बेटियां
2017 3 5
2018 4 7
2019 8 9
2020 1 6
2021 6 8
2022 4 3
3 माह करते है मां-बाप का इंतजार
सिटी चाइल्डलाइन के काउंसलर कृष्णा प्रताप शर्मा ने बताया कि पुलिस लावारिस नवजात मिलने पर चाइल्डलाइन के टोलफ्री नंबर 1098 पर सूचना देती है। चाइल्ड लाइन की टीम मौके पर जाकर शिशु का स्वास्थ्य परीक्षण करवाती है। शिशु के स्वस्थ होने पर उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया जाता है। उसके बाद मजिस्ट्रेट के आदेश पर नवजात को दत्तक इकाई को रखा जाता है। तीन महीने तक चाइल्ड वेलफेयर कमेटी नवजात के माता—पिता का इंतजार करती है। जब ये अवधि समाप्त हो जाती है। तब बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया शुरु होती है।
दत्तक गृह में की जाती है देखभाल
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की सारा बेवसाइट के माध्यम से संतानविहीन दंपति नवजात को गोद ले सकते है। इस प्रक्रिया में करीब ड़ेढ से दो साल का समय लगता है। तब तक नवजात की देखभाल दत्तक गृह में की जाती है। राजधानी में राजकीय बाल गृह शिशु, श्रीराम औद्योगिक अनाथालय और लीलावती दत्तक ग्रहण इकाई हैं। इन इकाईयों में नवजात की देखभाल होती है।
हमारे समाज में अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जो इंसानित को शर्मसार कर देती है। इन बच्चों को लावारिस फेंकने की एक वजह बिना शादी के मां बनना भी है…डॉ. संगीता शर्मा, बाल कल्याण विकास अधिकारी।
यह भी पढ़ें:-हरदोई: खेत से नवजात शिशु का शव बरामद, गांव में फैली सनसनी
