बरेली: नालों में गोबर और गंदगी ने रोकी जलनिकासी की राह
बरेली,अमृत विचार। नाले के पानी का निकास न होने से इंदिरा नगर के लोग परेशान हैं। उनकी समस्या का हल नगर निगम के पास नहीं है। बरसात में नाले का पानी घरों में भर जाता है। कुछ लोगों ने घरों को ऊंचा करा लिया है। राजेन्द्र नगर में स्वयवर बारात घर तिराहे पर बने नाले …
बरेली,अमृत विचार। नाले के पानी का निकास न होने से इंदिरा नगर के लोग परेशान हैं। उनकी समस्या का हल नगर निगम के पास नहीं है। बरसात में नाले का पानी घरों में भर जाता है। कुछ लोगों ने घरों को ऊंचा करा लिया है। राजेन्द्र नगर में स्वयवर बारात घर तिराहे पर बने नाले में गोबर भरा है, जहां पानी निकल ही नहीं पाता है।
इंदिरा नगर क्षेत्र में 2005 में नाला बनाया गया। तत्कालीन अफसरों ने निर्माण तो करवाया लेकिन उसकी निगरानी करने नहीं आए और ठेकेदार से मिलकर चलते बने। हालत यह हुई कि क्षेत्र के नाले का ढलान ही ऐसा कर दिया गया कि यहां पानी की निकासी ही नहीं होती। इंदिरा नगर का नाला मानस अस्पताल से डी ब्लाक, रतन स्वीट के सामने से स्वयंवर बारात घर, राजेन्द्र नगर, बांके बिहारी मंदिर, शील चौराहा होते हुए जनकपुरी में मिलता है।
यहां से यह रेलवे लाइन की ओर जाकर वहां भूमिगत होकर लल्ला मार्केट के पास मिलता है। शील चौराहे से बांके बिहारी मंदिर की तरफ बढ़ने पर पुलिस चौकी के पास तो नाला दिखाई पड़ता है। मगर इसके बाद यह नाला ढक गया है। नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग डेयरी वालों पर मेहरबान है। क्षेत्र में लगभग 10 डेयरियां हैं और इनमें से कुछ का गोबर नाले में बहाया जा रहा है।
यह नाला लगभग 3.5 मीटर गहरा है। जनकपुरी के पास यह नाला जिसमें मिलता है वह छोटा है। आईवीआरआई रोड ऊंचाई पर है, जबकि इंदिरा नगर रोड नीचा है। इससे यहां का पानी आईवीआरआई की तरफ नहीं जा पाता है। सड़क पर भरा रहता है। कालोनी के लोग ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं होने की बात कहते हैं।
यह सिस्टम कब सही होगा। कब ईमानदारी से नगर निगम सफाई कार्य कराएगा। यह इंतजार कब पूरा होगा। यह यहां के लोग भी नहीं जानते हैं। क्षेत्र में नाले में कई जगह कूड़ा पड़ा है। कई जगह सफाई न होने से सिल्ट जमा हो गई है। पानी आगे नहीं बढ़ रहा ।
क्षेत्र में नियमित सफाई कर्मी, सुपरवाइजर, इंस्पेक्टर अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। लेकिन गोबर की वजह से सफाई नहीं हो पाती है। जब तक ईमानदारी से सफाई कार्य को अंजाम नहीं दिया जाएगा, तब तक जनता पार्षद को ही हर समस्या का जिम्मेदार ठहराती रहेगी। मेरे निरंतर प्रयास से ही कर्मचारी भी लगे रहते हैं लेकिन अफसरों को भी अपना काम करना चाहिए।—सतीश कातिब, पार्षद
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