‘Makal’ Film review: पापा-बेटी के Generation gap को दिखाती फिल्म ‘मकल’, छू लेगी आपका दिल
मुंबई। दक्षिण भारत की फिल्म ‘मकल’ एक शांत समुद्र पर सहज नौकायन की भावना को व्यक्त कर रही है, जैसे तेज हवा के साथ कभी-कभी जहाज को हल्का झटका लगता है, लेकिन वो फिर भी चलती रहती है। ऐसा ही कुछ इस फिल्म में एक पिता और उसकी टीनऐजर बेटी के बीच छोटे मोटे मन …
मुंबई। दक्षिण भारत की फिल्म ‘मकल’ एक शांत समुद्र पर सहज नौकायन की भावना को व्यक्त कर रही है, जैसे तेज हवा के साथ कभी-कभी जहाज को हल्का झटका लगता है, लेकिन वो फिर भी चलती रहती है।
ऐसा ही कुछ इस फिल्म में एक पिता और उसकी टीनऐजर बेटी के बीच छोटे मोटे मन मोटाव को इसमें दिखाया गया है। अंत में कैसे दोनों के बीच सब कुछ सही हो जाता है यह दिखाया गया है।
इस फिल्म के स्क्रीन राइटर इकबाल कुट्टीपुरम, जो ओरु इंडियन प्राणायाकधा और जोमोंटे सुविशेंगल के बाद अंतिकद के साथ काम किया हैं।
जूलियट (मीरा जैस्मीन) अपनी बेटी अपर्णा (देविका संजय) के साथ उसके सभी नखरे और चिंताओं को समझती है। जब अपर्णा के पिता नंदन (जयराम), मध्य पूर्व में अपनी नौकरी खोने के बाद घर लौटते हैं, तो उन्हें अपनी बेटी के साथ मिलना मुश्किल हो जाता है। उसके साथ एक दोस्त के रूप में व्यवहार करें, एक प्रधानाध्यापक के रूप में नहीं, उसकी पत्नी उसे सलाह देती है, फिर भी उसकी रूढ़िवादी मानसिकता में कई चीजें हैं जो वह अस्वीकार्य करती हैं।
पिता और बेटी के बीच सबसे बड़ा विवाद एक लापता पालतू कुत्ते को लेकर होता है और दूसरा अपर्णा के दोस्त रोहित (नसलेन गफूर) से जुड़ा है।
इस फिल्म में पिता और एक टीनऐजर बेटी के बीच जनरेशन गैप को दिखाया गया।
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