मध्यस्थता मिशन
रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ा युद्ध तीसरे माह में प्रवेश कर गया है। युद्ध खत्म होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ भी युद्ध समाप्त करवा पाने में नाकामयाब रहा है। युद्ध यदि लंबा चला तो संभावना है कि भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में आर्थिक और राजनीतिक मुश्किलें जरूर पैदा …
रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ा युद्ध तीसरे माह में प्रवेश कर गया है। युद्ध खत्म होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ भी युद्ध समाप्त करवा पाने में नाकामयाब रहा है। युद्ध यदि लंबा चला तो संभावना है कि भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में आर्थिक और राजनीतिक मुश्किलें जरूर पैदा होंगी।
पुतिन झुक नहीं रहे हैं और यूक्रेन में जेलेंस्की भी हथियार नहीं डाल रहे हैं। उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने यूक्रेन में युद्ध का अंत करने के इरादे से दोनों देशों से बातचीत का प्रस्ताव रखा है। इस बातचीत को युद्ध विराम की बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जाना चाहिए। एंटोनियो गुटेरेस रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बैठक करने से पहले सोमवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन से मिलेंगे और रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए अपना मध्यस्थता मिशन शुरू करेंगे।
रूस और यूक्रेन के लिए तुर्की कूटनीति का केंद्र रहा है। गुरुवार को गुटेरेस यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेस्की के साथ कीव में मिलने की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के लिए संकट समन्वयक अमीन अवाद ने कहा कि युद्ध का तात्कालिक प्रभाव यूक्रेन में देखने को मिल रहा है, जबकि इसके वैश्विक दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं।
इससे दुनिया भर में एक अरब 70 करोड़ लोगों के लिए निर्धनता, भूख और अन्य चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। इन दिनों यूरोप तमाम झटकों का सामना कर रहा है। अमेरिका यूरोप की तुलना में कम प्रभावित है लेकिन वहां भी पेट्रोल की कीमतें एक महीने में करीब 60 फीसदी बढ़कर 4 डॉलर प्रति गैलन से अधिक हो चुकी हैं।
ऊर्जा की ऊंची लागत और उर्वरक कीमतों में हुए इजाफे ने बीते दिनों श्रीलंका को अंतर्राष्ट्रीय कर्ज अदायगी में चूक करने पर विवश कर दिया। पाकिस्तान भी इससे प्रभावित हुआ है और विदेशी मुद्रा संकट के बीच उसकी सरकार गिर गई। भारत में घरेलू गैस की कीमतें दोगुनी हो चुकी हैं।
विश्व बैंक का कहना है कि अगर युद्ध के पहले किसी देश का जीडीपी 180 अरब डॉलर हो तो उसे युद्ध की कीमत कम से कम 60 अरब डॉलर राशि से चुकानी पड़ती है। वहीं गुटेरेस के दौरे को ‘युद्ध रोकने का एक प्रयास’ कहा जा रहा है लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की इससे खुश नहीं हैं। जेलेंस्की ने गुटेरेस के कीव से पहले मॉस्को जाने और पुतिन से मुलाकात करने के फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यूक्रेन से पहले उनका रूस जाना गलत है। साथ ही जेलेंस्की का अनुमान है कि उनके देश को करीब सात अरब डॉलर की मासिक आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी। यह कीमत कौन चुकाएगा?
