नैनीताल: औद्योगिक विकास सचिव हाईकोर्ट में तलब

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नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रामनगर के सक्खनपुर में स्थित मनराल स्टोन क्रशर के अवैध रूप से संचालित होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने अगले बुधवार को सचिव, औद्योगिक विकास को न्यायालय में व्यक्तिगत …

नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रामनगर के सक्खनपुर में स्थित मनराल स्टोन क्रशर के अवैध रूप से संचालित होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने अगले बुधवार को सचिव, औद्योगिक विकास को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं।

खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा है कि स्टोन क्रशर लगाने हेतु पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (पीसीबी) की अनुमति से पहले सरकार ने कैसे और किस नियमों के तहत अनुमति दे दी। पहले अनुमति पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से लेनी थी, जबकि न्यायालय ने स्टोन क्रशर के संचालन पर रोक लगा रखी है। पूर्व में भी न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या राज्य में स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति देने से पूर्व साइलेंट जोन, इंडस्ट्रियल ज़ोन और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण किया गया था या नही।

मामले के अनुसार, रामनगर निवासी आनन्द सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के समीप सक्खनपुर में मनराल स्टोन क्रशर अवैध रूप से चल रहा है। स्टोन क्रशर के पास पीसीबी का लाइसेंस नही है। याचिकर्ता के अधिवक्ता द्वारा पूर्व में सुनवाई के दौरान न्यायालय को अवगत कराया गया था कि राज्य को बने हुए 21 साल हो गए हैं, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि कौन सा क्षेत्र साइलेंट, इंडस्ट्रियल या रेजिडेंशियल है।

जहां मर्जी हो वहां स्टोन क्रशर खोले जाने की अनुमति दी जा रही है, जबकि हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में कहा था कि न्यायालय के आदेश के बिना स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति नहीं दी जाय, उसके बाद भी पीसीबी व सरकार ने पुरानी तिथि से इसे लगाने की अनुमति दे दी। लिहाजा इन स्टोन क्रशरों को बंद किया जाए।

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