एसजीपीजीआई में आरक्षण की अनदेखी पर एससी आयोग सख्त, निदेशक को किया तलब
लखनऊ। एसजीपीजीआई लखनऊ में लम्बे समय से आरक्षण के नियमों के उल्लंघन के मामले को निस्तारित करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने एसजीपीजीआई के निदेशक को 13 अप्रैल आयोग में तलब किया है। एसजीपीजीआई में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के डॉक्टरों की आपत्ति थी कि पिछले कई वर्षों से यहां नियुक्तियों …
लखनऊ। एसजीपीजीआई लखनऊ में लम्बे समय से आरक्षण के नियमों के उल्लंघन के मामले को निस्तारित करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने एसजीपीजीआई के निदेशक को 13 अप्रैल आयोग में तलब किया है। एसजीपीजीआई में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के डॉक्टरों की आपत्ति थी कि पिछले कई वर्षों से यहां नियुक्तियों के लिए जो भी विज्ञापन निकाले जा रहे हैं, उनमें आरक्षण के नियमों का पालन नहीं हो रहा है और भर्ती प्रक्रिया में राज्य सरकार द्वारा बनाये गए रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है।
रोस्टर व्यवस्था को दरकिनार करके विभाग ने नियुक्ति कर ली, जिसकी वजह से अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की सदस्य अन्जूबाला ने डॉक्टरों की इस शिकायत पर पीजीआई के निदेशक को निर्देश दिया है कि वे इस मामले से सम्बंधित रोस्टर व अन्य दस्तावेज लेकर आयोग में पेश हों। आयोग की सदस्य ने कहा कि निदेशक पीजीआई ने शिकायतकर्ता डॉक्टरों का पक्ष सुनने के बाद भी अभीतक नियुक्तियों में रोस्टर व्यवस्था लागू नहीं की।

एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ. एलके भारती, डॉ. हीरालाल, डॉ. बसंत कुमार व अन्य ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में दिए प्रत्यावेदन में कहा कि प्रोफ़ेसर की भर्ती के लिए प्रकाशित विज्ञापन के अनुरूप रिक्त पदों पर अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों के चयन में राज्य सरकार के रोस्टर का पालन नहीं किया गया। इस पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की सदस्य ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है, उन्होंने इस मामले में कहा कि आयोग ने पहले भी निर्देश दिए थे कि प्रोफेसरों के चयन प्रक्रिया में रोस्टर के तहत आरक्षण व्यवस्था लागू की जाये, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया।
लिहाजा इस मामले में निदेशक पीजीआई 13 अप्रैल को आयोग के समक्ष सारे दस्तावेज के साथ उपस्थित हों। उल्लेखनीय है कि संस्थान में किसी भी पद पर अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के साथ की सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षित सीटों पर इन वर्ग के लोगों को नियुक्त नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर संस्थान में आरक्षित वर्ग के डॉक्टरों, अधिकरियों और कर्मचारियों में खासा असंतोष है।
इस मामले को लेकर सामाजिक संस्था बहुजन भारत के महासचिव चिंतामणि ने कहा कि पीजीआई लखनऊ प्रशासन लगातार आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कर रहा है। चिंतामणि ने कहा कि यदि इसी तरह इस संस्थान में आरक्षण के नियमों की अनदेखी की जाती रही तो संस्था इस मामले में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर अपना विरोध जताएगी।
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