खतरा बरकरार

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पूरी दुनिया में फैले जानलेवा कोरोना वायरस का प्रकोप अभी समाप्त नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस गया नहीं है और यह बार-बार सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि किसी को नहीं पता कि ‘बहरूपिया’ कोविड-19 फिर कब सामने आ जाए। अब खबर आ रही है कि …

पूरी दुनिया में फैले जानलेवा कोरोना वायरस का प्रकोप अभी समाप्त नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस गया नहीं है और यह बार-बार सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि किसी को नहीं पता कि ‘बहरूपिया’ कोविड-19 फिर कब सामने आ जाए। अब खबर आ रही है कि कोरोना का एक्सई नामक एक नया वेरिएंट का पता चला है, भारत में इससे संक्रमित एक व्यक्ति महाराष्ट्र व एक व्यक्ति गुजरात में मिला है।

यह ओमिक्रान का ही एक नया रूप है, वहीं ओमिक्रान जो तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार था। विश्व स्वास्थ्य संगठन चेता रहा है कि नए वेरिएंट की वजह से स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति बनी हुई है। यह पिछले स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा संक्रामक है। ऐसे में जांच व निगरानी में किसी भी तरह की शिथिलता भविष्य में संकट की स्थिति पैदा कर सकती है।

यह दूसरे वेरिएंट से 10 प्रतिशत अधिक संक्रामक है यानी इसके फैलने की दर अधिक है। ध्यान रहे कि विगत में हम उन देशों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने संक्रमण की सबसे ज्यादा कीमत चुकाई। कोविड प्रतिबंधों में ढील का मतलब यह कतई नहीं हैं कि एक नागरिक के तौर पर हम लापरवाही बरतने लगें। हमें इस अवस्था में जांच का दायरा बढ़ाना होगा, जिससे हम किसी नए वेरिएंट का समय रहते मुकाबला कर सकें।

एशिया व यूरोप के कई देशों में कोविड संक्रमण के मामलों में आ रही तेजी बताती है कि सजग-सतर्क रहने की जरूरत है। जरा सी लापरवाही वायरस से निपटने के प्रयासों को पलीता लगा सकती है। अतीत के अनुभव बताते हैं कि हमारी चूक से स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है। हम यह न भूलें कि भारत दुनिया में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल रहा है।

डेल्टा वेरिएंट की घातकता के चलते लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। हालांकि कोरोना के एक्सई वेरिएंट का भारत में डेल्टा जैसा प्रभाव होने की संभावना नहीं है। देश में अधिकांश लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है। टीकों की करीब 185 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं।

रविवार से 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी लोगों को कोरोनारोधी बूस्टर डोज लगाने का काम शुरु हो चुका है। बूस्टर डोज उन लोगों को लगाई जा सकेगी, जिन्हें दूसरी डोज लगे नौ महीने हो चुके हैं। फिर भी आसन्न संकट के मद्देनजर सरकार और नागरिकों के स्तर पर पूरी सजगता जरूरी है।