क्राइम सिटी बनने चली पीतल नगरी, गंभीर अपराध में टॉप पर मुरादाबाद

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सौरभ सिंह/अमृत विचार। ब्रास सिटी मतलब पीतल नगरी के रूप में ख्याति प्राप्त मुरादाबाद अब क्राइम सिटी बनता जा रहा है। गंभीर अपराध की दृष्टि से जिला आईजी रेंज में टॉप पर है। बीते तीन महीने में ही यहां डकैती के दो मामले, लूट के चार और हत्या के 11 मामले दर्ज हो चुके हैं। …

सौरभ सिंह/अमृत विचार। ब्रास सिटी मतलब पीतल नगरी के रूप में ख्याति प्राप्त मुरादाबाद अब क्राइम सिटी बनता जा रहा है। गंभीर अपराध की दृष्टि से जिला आईजी रेंज में टॉप पर है। बीते तीन महीने में ही यहां डकैती के दो मामले, लूट के चार और हत्या के 11 मामले दर्ज हो चुके हैं। अमरोहा में डकैती भले ही नहीं हुई, लेकिन लूट और हत्या के मामले में मुरादाबाद के ठीक पीछे खड़ा है। इस बात की पुष्टि खुद पुलिस के आंकड़े कर दे रहे हैं।

पुलिस उपमहानिरीक्षक ने रेंज के सभी पांच जिलों में साल के शुरूआती तीन महीने में हुए अलग अलग तरह के अपराधों की तुलनात्मक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में वर्ष 2020 के सापेक्ष 2021 में संगीन अपराधों में रिकार्ड कमी दर्ज है, लेकिन वर्ष 2022 के शुरुआती तीन महीने में एक बार फिर आपराधिक आंकड़े तेजी से बढ़े हैं।

खासतौर पर पीतल नगरी की रिपोर्ट तो डराने वाली है। यहां तीन महीने में डकैती के दो मामले सामने आ चुके हैं। जबकि दो लूट और हत्या के 11 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। गनीमत है कि बाकी जिलों में अपराधों में तेजी ऐसी नहीं है। लेकिन अमरोहा में सात लूट और हत्या में 10 मुकदमे दर्ज होने से वहां अपराध का ग्राफ दूसरे नंबर पर आ गया है। इसी प्रकार बिजनौर में भी बीते तीन महीने में हत्या की 13 वारदातें हो चुकी हैं। डीआईजी के मुताबिक रेंज में आपराधिक गतिविधियों पर रोकथाम के लिए लगातार मॉनिटरिंग हो रही है।

कोरोना ने थाम लिया था अपराधों का ग्राफ
कोरोना संक्रमण से सामान्य लोग तो परेशान थे ही, अपराधी भी घर से बहुत कम निकल रहे थे। इसके चलते वर्ष 2021 के शुरूआती तीन महीने में अपराध भी कम हुए हैं। वर्ष 2021 के शुरुआती तीन महीने में संभल में कोई डकैती नहीं हुई। वहीं लूट की दो और हत्या की आठ मामले दर्ज हुए थे। इसी प्रकार एक डकैती और हत्या के सात मामले सामने आए। वहीं मुरादाबाद में एक डकैती, तीन लूट और हत्या के छह मामले दर्ज हुए थे। जबकि अमरोहा जिले में दस लूट और 11 हत्या तथा बिजनौर में एक लूट और 10 हत्या के मामले दर्ज हुए। यह आंकड़ा वर्ष 2020 और 2022 के शुरुआती तीन महीने के आंकड़ों के सापेक्ष बहुत कम है।

अपराध और अपराधियों पर नकेल के लिए कई स्तर पर काम चल रहा है। इसके लिए कई कार्रवाई भी अमल में लाई जा रही है। इसके अलावा पुराने अपराधियों की धरपकड़ तेज कर दी गई है। -शलभ माथुर पुलिस उपमहानिरीक्षक मुरादाबाद

अपराध की प्रवृति वास्तव में मानसिक बीमारी है। यह प्रवृति बचपन से ही दिमाग में घुस जाती है। इसे बेहतर संस्कार देकर रोका जा सकता है। वहीं बढ़ती उम्र में बच्चों की प्रवृति जानने के लिए उनकी काउंसलिंग कराई जाए तो उन्हें अपराध के क्षेत्र में जाने से रोक सकते हैं। -डॉ. एमसी गुप्ता मनोरोग विशेषज्ञ

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