लखनऊ: दिव्यांग बच्चों को इलाज के लिए सरकार दे रही आर्थिक मदद, कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी से मिलेगी बहरेपन से मुक्ति

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लखनऊ। जन्म से श्रवण शक्ति क्षीण होने यानी की बहरेपन से पीड़ित बच्चों का इलाज संभव है, ऐसे बच्चे सुन सकते हैं और समाज की मुख्यधार से जुड़ कर अपना काम भी कर सकते हैँ, जन्म से ही श्रवण शक्ति का क्षीण होना अब बच्चों को प्रगति करने से नहीं रोक सकता। कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी …

लखनऊ। जन्म से श्रवण शक्ति क्षीण होने यानी की बहरेपन से पीड़ित बच्चों का इलाज संभव है, ऐसे बच्चे सुन सकते हैं और समाज की मुख्यधार से जुड़ कर अपना काम भी कर सकते हैँ, जन्म से ही श्रवण शक्ति का क्षीण होना अब बच्चों को प्रगति करने से नहीं रोक सकता।

कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी के जरिए बच्चों को बहरेपन से छुटकार मिल सकता है। साल 2019 से लेकर अबतक बहरेपन से पीड़ित ऐसे 30 बच्चों की कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी हो चुकी है और उनमें से कई बच्चे सामान्य स्कूल में पढ़ाई भी कर रहे हैं, इसमें खास बात यह है कि इन 30 बच्चों की सर्जरी में आर्थिक मदद उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से की गयी है और यह सबकुछ संभव हुआ है बचपन केयर के प्रयासों से।

दरअसल, बचपन केयर दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग द्वारा संचालित दिव्यांग बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने वाला सेंटर है, यह सेंटर जन्म से बहरेपन का शिकार बच्चों की सर्जरी के लिए सरकार से आर्थिक मदद दिलाने का भी काम करती है। कोरोना काल में जब लोग घरों में कैद थे, उस समय भी यह बचपन केयर दिव्यांग बच्चों की सेवा में लगा हुआ था, इसी का नतीजा रहा कि कोरोना के दौर में भी 30 बच्चों को आर्थिक सहायता मुहैया हो सकी, साथ ही उनका कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी करा कर उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का काम भी किया गया।

राजधानी के बचपन केयर की समन्वयक विजय लक्ष्मी बताती हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कॉक्लियर इंप्लांट के लिए 6 लाख का बजट दिया जाता है, लेकिन जिन बच्चों की उम्र तीन से पांच साल की होती है, उन्हीं को यह मदद दी जाती है,साथ ही उनके माता पिता की सालाना आय 90 हजार से अधिक नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि यह इंप्लाट पीजीआई में एक्स्पर्ट टीम द्वारा किया जाता है। इसके अलावा जिस बच्चे को सर्जरी की जरूरत है,यह बात अस्पताल द्वारा प्रमाड़ित होना चाहिए कि बच्चे का कॉक्लियर इंप्लांट किया जा सकता है, साथ ही सीएमओ द्वारा विकलांगता प्रमाण का होना भी जरूरी है।

उन्होंने खास तौर पर बताया कि 3 से 5 साल की उम्र के बच्चों को कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी के लिए ही आर्थिक सहायता मिल सकती है। इससे ज्यादा उम्र होने पर आर्थिक सहायता नहीं मिल पाती है। इसलिए बेहद जरूरी है कि समय पर इस बात की जानकारी हो जाये की बच्चे की श्रवण शक्ति नहीं।

उन्होंने बताया कि हमारे सेंटर से 2019 से अब तक 30 बच्चों का कॉक्लियर इंप्लांट हुआ है। इनमें से सेकेण्ड बैच के बच्चे नार्मल स्कूल में जा रहे हैं और समाज के मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं।

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