प्रयागराज: इलाहाबाद HC ने साक्षी महाराज और अन्य साथियों पर सुनाया यह बड़ा फैसला, पुनरीक्षण की याचिका हुई खारिज

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प्रयागराज। महिला को अगवा कर दुराचार मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वामी सच्चिदानंद साक्षी महाराज और अन्य आरोपियों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। जस्टिस शमीम अहमद ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर …

प्रयागराज। महिला को अगवा कर दुराचार मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वामी सच्चिदानंद साक्षी महाराज और अन्य आरोपियों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। जस्टिस शमीम अहमद ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया।

जानें क्या था पूरा मामला
बता दें कि एटा कोतवाली नगर में एक महिला ने अपहरण कर दुराचार का आरोप लगाया था साक्षी महाराज और अन्य साथियों पर। महिला का कहना था कि एम मेडिकल क्लिनिक से अपहरण के बाद उदयपुर के एक आश्रम में नौ दिन तक उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। पुलिस ने मामले में चार्जशीट पेश की, जिसके बाद साक्षी महाराज समेत सभी आरोपियों ने कोर्ट के समक्ष आरोप मुक्त करने की अर्जी प्रस्तुत की थी। जिसके बाद बयान देते वक्त पीड़िता भी अपने बयान से मुकर गई। वहीं, इस संबंध में टूंडला क्षेत्राधिकारी ने जांच के दौरान आरोप सही नहीं पाए थे। जिसके बाद अधीनस्थ न्यायालय ने 26 नवंबर 2001 को सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया गया था।

राज्य सरकार की अपील को हाईकोर्ट ने किया खारिज
राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए पुनरीक्षण याचिका दाखिल की। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि पीड़िता के बयान और हलफनामे में अंतर है। पीड़िता को डरा धमका कर हलफनामा दायर किया गया है। कोर्ट ने इस संबंध में पीड़िता के हलफनामे को मानते हुए आरोपियों को मुक्त कर दिया है।

पुनरीक्षण याचिका खारिज
वहीं कोर्ट ने इस संबंध में कहा कि दुष्कर्म के मामले में मेडिकल रिपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य पेश नहीं किए गए। साथ ही मेडिकल क्लिनिक के डॉक्टर ने भी घटना से इनकार किया है। क्षेत्राधिकारी को भी जांच में आरोप सही नहीं पाए। इसके बाद कोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी।

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