अयोध्या मासूम रेप कांड : अपने ही बुने जाल में फंस गई पुलिस, दे रही अलग-अलग तर्क

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अयोध्या। धर्मनगरी अयोध्या में मासूम बच्ची के साथ रेप की जघन्य वारदात में अब अयोध्या पुलिस अपने ही बुने जाल में फंसती जा रही है। इस शर्मनाक घटना को लेकर पुलिस की ओर से दिए जा रहे जुदा-जुदा तर्क अब तक की उसकी कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। पुलिस का यह हाल तब है …

अयोध्या। धर्मनगरी अयोध्या में मासूम बच्ची के साथ रेप की जघन्य वारदात में अब अयोध्या पुलिस अपने ही बुने जाल में फंसती जा रही है। इस शर्मनाक घटना को लेकर पुलिस की ओर से दिए जा रहे जुदा-जुदा तर्क अब तक की उसकी कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। पुलिस का यह हाल तब है जब सूबे में सत्तारूढ़ सरकार महिलाओं और बच्चियों पर अत्याचार की घटनाओं में त्वरित न्याय का दावा करती रहती है।

16 मार्च की देर रात सामने आई इस जघन्य घटना के बाद से ही पुलिस ने अपने बचाव के लिए जाल बुनना शुरू कर दिया था, तब से अब तक पुलिस इस मामले में ‘खेल’ करती आ रही है। सबसे गंभीर बात यह है कि घटना के दस दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने न खुद न मजिस्ट्रेट द्वारा पीड़ित बच्ची का बयान दर्ज करा पाई है। वह भी तब जब घटना को लेकर लोगों में तीखा आक्रोश है। लगातार लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन आला अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। घटना वाली रात पुलिस ने पीड़िता के पिता से आनन-फानन में अज्ञात के खिलाफ तहरीर ले ली।

सुधबुध खो चुके पिता ने तहरीर दे दी। इसके बाद पुलिस ने भूमिका बनाई और रात भर में ही एक आरोपी राजन मांझी को गिरफ्तार कर घटना के पटाक्षेप का दावा कर दिया। दूसरे दिन जब स्थानीय लोगों ने घटना में शामिल अन्य की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन किया तो कोई तवज्जो नहीं दी गई। यहीं से पुलिस दो लोगों को बचाने के आरोपों से घिर गई, लेकिन वह एक आरोपी का ही डंका पीटती रही।

अब जब खुद पीड़ित बच्ची के एक वायरल वीडियो में तीन लोगों के शामिल होने की बात सामने आई तो पुलिस पीड़ित पिता से ही फिर नामजद तहरीर मांग रही है। इसकी पुष्टि खुद कोतवाल अयोध्या कर रहे हैं कि पिता लिख कर दे तो आगे कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का तो यहां तक कहना है कि बच्ची से यह कहलवाया गया है। पुलिस यह कैसे कह रही है जबकि उसके पास कोई आधार ही नहीं है।

ऐसे खुलती हैं पुलिस के दावों की पोल

इस जघन्य वारदात में पुलिस कितनी गंभीर है यह भी जान लीजिए। अभी तक मजिस्ट्रेट द्वारा लिए जाने वाला 164 का बयान तो दूर पुलिस अपने द्वारा लिए जाने वाला 161 का बयान पीड़ित बच्ची से नहीं ले सकी है। बिना बच्ची से बयान लिए ही पुलिस अब तक सारे नतीजे पर पहुंच गई यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। पांच दिन पहले कोतवाल ने बताया था बच्ची की हालत स्थिर है जल्द डिस्चार्ज हो जाएगी।

शुक्रवार को पूछा गया तो बताया बच्ची की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए कोई बयान अब तक नहीं लिया जा सका है। जाहिर है कि पुलिस पहले अज्ञात के खिलाफ दी गई तहरीर पर एक आरोपी को गिरफ्तार कर चुपचाप बैठ गई। क्या पुलिस वायरल वीडियो में दिए गए बच्ची के बयान का स्वत संज्ञान लेकर अपना कर्तव्य नहीं निभा सकती थी।

टेंट हाउस मालिक व पुत्र की संलिप्तता की बात

कोतवाल देवेंद्र पांडेय का कहना है कि जिन दो लोगों के भी संलिप्त होने की बात आ रही है वह टेंट हाउस मालिक और उसका पुत्र है। दोनों की जांच कर ली गई है, कोई संलिप्तता नहीं मिली है। कहते हैं इसके बाद भी पिता लिख कर दे दे तो कार्रवाई की जाएगी।

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