कानपुर: अरबों खर्च फिर भी निर्मल नहीं हुईं मां गंगा, कमिश्नर ने दिया कार्रवाई का आदेश
कानपुर। लोगों के पाप धोने के लिए विख्यात गंगा अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी निर्मल नहीं हो पाईं। अफसरों ने इसे गंदा कर रहे नाले कागजों में बंद कर दिए, लेकिन कमिश्नर की जांच में यह खुले मिले। कमिश्नर ने जिम्मेदारों के खिलाफ दो दिन में कार्रवाई कर रिपोर्ट तलब की है। गंगा …
कानपुर। लोगों के पाप धोने के लिए विख्यात गंगा अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी निर्मल नहीं हो पाईं। अफसरों ने इसे गंदा कर रहे नाले कागजों में बंद कर दिए, लेकिन कमिश्नर की जांच में यह खुले मिले। कमिश्नर ने जिम्मेदारों के खिलाफ दो दिन में कार्रवाई कर रिपोर्ट तलब की है।
गंगा सफाई के नाम पर 1989 से अब तक करीब 14 सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन दूसरों को निर्मल करने वाली गंगा स्वयं अब तक निर्मल नहीं हो पाई। मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर ने नगर आयुक्त की अध्यक्षता में जल निगम के महाप्रबंधक और अधिशाषी अभियंता, सिचाई की संयुक्त टीम बनाकर गंगा में गिर रहे नालों की जांच कराकर रिपोर्ट ली।
इसके बाद वह टीम के साथ गंगा का निरीक्षण करने पहुंच गए। उन्होंने परमिया नाला, सीसामऊ नाला, परमट नाला, बाबा घाट नाला, गुप्तारघाट नाला और रानीघाट नाले का निरीक्षण किया। नवाबगंज पंपिग स्टेशन के पांच पंपों में से दो चलते मिले। इसके चलते परमिया नाले से करीब चार एमएलडी सीवर का गंदा पानी ओवर फ्लो होकर गंगा में गिरता मिला।
परमट पंपिग स्टेशन के भी पांच में से दो ही पंप क्रियाशील हैं। परमट नाले से करीब दो एमएलडी और रानीघाट नाले से एक एमएलडी गंदा पानी गंगा में गिरता मिला। रानीघाट, गोलाघाट, सती चौराहा, मैस्कर घाट व रामेश्वर नाले का गंदा पानी नगर निगम बायो रेमिडेशन पद्धति से साफ करके गंगा में डाला रहा है। एयर फोर्स, परमिया, वाजिदपुर, डबका, बंगालीघाट, बुढ़िया घाट, गुप्तारघाट, सीसामऊ, टैफ्को, परमट, म्योर मिल, पुलिस लाइन, जेल नाले का गंदा पानी सीधे गंगा में जा रहा है।
सफाई में डूबी इतनी रकम
1989 से गंगा की सफाई शुरू हुई थी। गंगा एक्शन प्लान में 166, जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल में 747, नमामि गंगे में 423, अमृत योजना में 2०० करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी गंगा बदहाल है।
2.27 करोड़ रुपये लग चुका जुर्माना
गंगा में सीवर गिरने से न रोकने पर स्टेट मिशन फॉर क्लीन गंगा (एसएमसीजी) ने कोर्ट में केस दाखिल किया था। प्लांट के रखरखाव व संचालन की जिम्मेदारी 2०19 में शापोरजी पालोन जी को दी गई है। दो माह से लगातार नालों और एसटीपी से ओवर फ्लो होकर सीवरेज गंगा में जाने के चलते जल निगम ने नोटिस भी दिया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
इस मामले में 18 फरवरी को एसएमसीजी के साइंटिस्ट नीरज पांडेय ने परिवाद दाखिल किया। इस बाबत प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक करोड़ और जल निगम ने 1.27 करोड़ रुपये जुर्माना भी लगाया है। नगर निगम की मांग के बावजूद दो साल से गंगा सफाई को बजट भी नहीं मिला है।
डीएम को दिया कार्रवाई का आदेश
मंडलायुक्त ने कहा कि डीएम तुरंत गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सिचाई विभाग, पुलिस विभाग, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक करें। जिम्मेदारों के खिलाफ दो दिन में कार्रवाई कर रिपोर्ट दें।
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